Advertisement
  1. हिन्दी समाचार
  2. ख़बरें जरा हटके
  3. नौकरी नहीं मिली तो शख्स ने गधी पालन के साथ किया शुरू किया ऐसा बिजनेस, बना लखपति

नौकरी नहीं मिली तो शख्स ने गधी पालन के साथ किया शुरू किया ऐसा बिजनेस, बना लखपति

By आराधना शर्मा 
Updated Date

पाटन: कहतें हैं हर किसी को किस्मत एक मौका जरूर देती है कई लोग इसी एक मौके की तलाश में होते हैं और मौका मिलते है अपना नाम दुनिया में रौशन कर देते हैं । दरअसल कुछ इसी तरह गुजरात के पाटन जिले में एक अनोखी बिजनेस रणनीति देखने को मिली। आपको बता दें गुजरात के पाटन जिले छोटे से गांव मणुंद के रहने वाले धीरेन सोलंकी सरकारी नौकरी ढूंढ रहे थे। नौकरी हासिल करने में नाकाम रहने पर उन्होंने डंकी फार्मिंग यानी गधी पालन करने का निर्णय लिया।

पढ़ें :- Viral video:वडोदरा में दो युवक मगरमच्छ को पकड़कर स्कूटी से पहुंचे वन विभाग दफ्तर

वहीं, दक्षिण भारत से इस बारे में जानकारी हासिल की। फिर अपने गांव में लगभग 8 महीने पहले 22 लाख की लगत से छोटी सी जगह लेकर 20 डंकी के साथ गधी पालन का आरम्भ किया। गुजरात में गधी के दूध की महत्वत्ता के अभाव की वजह से धीरेन को 5 महीने तक कुछ भी आमदनी नहीं हुई।

फिर उन्हें पता चला दक्षिण भारत में गधी के दूध की सबसे अधिक मांग है। धीरेन ने दक्षिण भारत की कुछ कंपनियों से संपर्क किया। उसके बाद आहिस्ता-आहिस्ता दूध की सप्लाई कर्नाटक और केरल जैसे प्रदेशों में भेजना आरम्भ किया। कॉस्मेटिक्स की कंपनियों में गधी के दूध की बहुत मांग है।

इसका 1 लीटर 5000 से 7000 हजार रुपये तक बिकता है। इस दूध से बना पाउडर विदेशों में 1 लाख से 1.25 लाख रुपये में बिकता है। दूध खराब न हो इसके लिए इसे निकालने के पश्चात् तुरंत फ्रीजर में रखना होता है। फिर इसे अन्य स्थानों पर पहुंचाया जाता है।

शिशुओं में विकास के लिए बहुत फायदेमंद 

वही बात यदि गधी के दूध की करें तो इसकी प्रोटीन संरचना और आइपोएलर्जेनिक गुण इसे मानव दूध का आदर्श विकल्प बनाते हैं। यदि गाय के दूध से इसकी तुलना की जाए तो गधी के दूध में 9 गुना ज्यादा टॉरिन होता है। यह एक अहम पोषक तत्व है जो शिशुओं में विकास को बढ़ावा देता है। कहा जाता है कि 19 वीं सदी के आरम्भ में गधी का दूध शिशुओं, बीमार बच्चों को पीने के लिए दिया जाता था।

पढ़ें :- Viral Video: लो.. जी... आ गया एसी वाला हेलमेट, सूरत में ट्रैफिक पुलिसकर्मी पहने हुए आया नजर, वायरल हो रहा है वीडियो

गधी के दूध को यूरोप एवं अफ्रीका के कई देशों में मान्यता प्राप्त है। यह बेहद पतला और सफेद होता है। इसका स्वाद मीठा होता है। उच्च पोषण सामग्री के कारण इसे औषधीय प्रयोग में भी लाया जाता है। इसका इस्तेमाल गठियां, खांसी, सर्जिकल घाव, अल्सर आदि को ठीक करने में किया जाता है। फ्रांस एवं इटली में तो गधी के दूध से साबुन भी बनाया जा रहा है।

वही धीरेन के फार्म में आज 42 गधी हैं। वह इसमें लगभग 38 लाख रुपये की पूंजी लगा चुके हैं। 1 डंकी औसतन 800 ml दूध देती है। धीरेन इसका व्यापार वेबसाइट के माध्यम से भी करते हैं। इससे उन्हें हर महीने 2 से 3 लाख रुपये की आमदनी हासिल हो जाती है। भारत में भी गधी पालन की बहुत संभावनाएं हैं। किसान इसके माध्यम से अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं।

Advertisement