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NDA के लिए संसद में जीरो सीट वाली पार्टियां क्यों हो गईं हैं अहम? बीजेपी इसी को लेकर विपक्ष पर थी हमलावर

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) को धार देने के लिए मंगलवार को बीजेपी ने एनडीए दलों की बैठक बुलाई है। इस बैठक में 38 दल शामिल हो रहे हैं। यूपीए और एनडीए की ये बैठकें भले ही आगामी लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) पर रणनीति तैयार करने के लिए बुलाई गईं हो लेकिन इन बैठकों के जरिए यह भी बताने की कोशिश की जा रही है कि कितने दल किसके साथ हैं यानी कौन-कितना दमदार है?

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वैसे दोनों की गठबंधन दलों की संख्या बताकर अपनी पावर का प्रदर्शन कर रहे हैं? हालांकि इस संख्या से इन गठबंधनों की ताकत का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता क्योंकि दोनों गठबंधनों में शामिल आधे से जयादा दलों में एक भी सांसद नहीं हैं। आंकड़ों की गणना करने पर पाया गया कि यूपीए में शामिल 26 में से 11 यानी 42.30 फीसदी दलों में एक भी सांसद नहीं है। इसी तरह एनडीए में शामिल 38 दलों में 25 यानी 65.78 फीसदी दलों में सांसद नहीं हैं। जबकि बीजेपी इसी मुद्दे को लेकर विपक्ष पर हमलावर थी। हालांकि इन दलों के उनके क्षेत्र में प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

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किसके साथ कौन?

विपक्ष: कांग्रेस, डीएमके, टीएमसी, जदयू, शिवसेना (UBT), एनसीपी (शरद पवार), सीपीआईएम, समाजवादी पार्टी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, सीपीआई, आम आदमी पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा, केरल कांग्रेस (M), आरजेडी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, सीपीआई (ML), आरएलडी, मनीथानेया मक्कल काची (MMK), एमडीएमके, वीसीके, आरएसपी, केरल कांग्रेस, केएमडीके, अपना दल (कमेरावादी) और एआईएफबी।

एनडीए: बीजेपी, शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) , राष्ट्रीय लोक जन शक्ति पार्टी (पारस), लोक जन शक्ति पार्टी (रामविलास पासवान), अपना दल (सोनेलाल), एआईएडीएमके, एनपीपी, एनडीपीपी, एसकेएम, आईएमकेएमके, आजसू, एमएनएफ, एनपीएफ, आरपीआई, जेजेपी, आईपीएफटी (त्रिपुरा), बीपीपी, पीएमके, एमजीपी, एजीपी, निषाद पार्टी, यूपीपीएल, एआईआरएनसी, टीएमसी (तमिल मनीला कांग्रेस), शिरोमणि अकाली दल सयुंक्त, जनसेना, एनसीपी (अजित पवार), हम, रालोसपा, सुभासपा, बीडीजेएस (केरल), केरल कांग्रेस (थॉमस), गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट, जनातिपथ्य राष्ट्रीय सभा, यूडीपी, एचएसडीपी, जन सुराज पार्टी (महाराष्ट्र) और प्रहार जनशक्ति पार्टी (महाराष्ट्र)।

किसमें कितना है दम?

इसका जवाब तो एनडीए ही है। बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए के पास लोकसभा में 350 से ज्यादा सांसद हैं। जबकि, विपक्ष की बैठक में जितनी पार्टियां शामिल हुईं हैं, उनके पास लगभग 150 सांसद ही हैं। हालांकि, आंकड़े देखे जाएं तो पता चलता है कि विपक्षी की बैठक में शामिल हुईं 50 फीसदी से ज्यादा पार्टियों के लोकसभा में एक भी सांसद नहीं हैं। जबकि, एनडीए की बैठक में शामिल 65 फीसदी पार्टियों के पास लोकसभा में एक भी सीट नहीं है।

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हालांकि, जानकारों का मानना है कि एनडीए की बैठक में कई ऐसी पार्टियां हैं जिनका क्षेत्रीय और किसी खास जाति पर अच्छा दबदबा है। ये पार्टियां यूपी और बिहार जैसे राज्य में अहम फैक्टर साबित हो सकती हैं। यूपी में 80 तो बिहार में 40 लोकसभा सीटें हैं। यानी, लोकसभा की 22 फीसदी सीटें इन्हीं दो राज्यों से आती हैं।

वहीं, कांग्रेस का दावा है कि विपक्षी एकता भारतीय राजनीति के लिए ‘गेम चेंजर’ होगी। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश का कहना है कि अचानक पिछले कुछ दिनों से एनडीए के बारे में सुनाई दे रहा है। जो एनडीए ‘भूत’ बन गया था, उसमें अब नई जान फूंकने की कोशिश हो रही है। टीएमसी सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने दावा किया कि एनडीए में शामिल आठ पार्टियों का एक भी सांसद नहीं हैं। नौ पार्टियों के एक-एक ही सांसद हैं, जबकि तीन के सिर्फ दो-दो सांसद हैं।

ओडिशा की बीजू जनता दल, आंध्र की वाईएसआर कांग्रेस, कर्नाटक की जनता दल (सेक्युलर), यूपी की बसपा, पंजाब की अकाली दल, तेलंगाना की तेलुगु देशम पार्टी और बीआरएस जैसी पार्टियों ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। ये वो पार्टियां जो न तो विपक्ष की महाजुटान का हिस्सा बनी हैं और न ही बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए के साथ आए हैं।

हालांकि, बीआरएस को छोड़कर बाकी सभी पार्टियां नए संसद भवन के उद्घाटन के मुद्दे पर बीजेपी को समर्थन दे चुकी हैं। इन दलों के पास लोकसभा में करीब पचास सांसद हैं। माना ऐसा जा रहा है कि ये पार्टियां चुनाव के बाद अपने पत्ते खोल सकतीं हैं। ऐसे में इनकी भूमिका किंगमेकर की हो सकती है।

 

 

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