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विश्व हिंदी दिवस: इन महान साहित्यकार ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिया किया था संघर्ष

By आराधना शर्मा 
Updated Date

नई दिल्ली: 10 जनवरी को विश्वभर में विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। यह दिन भारतीयों के लिए बहुत विशेष होता है। इसे सबसे पहले 10 जनवरी, 2006 ई को मनाया गया था। जब भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाने का ऐलान किया। उस वक़्त से प्रत्येक वर्ष 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है।

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इसका मुख्य लक्ष्य हिंदी को अंतरराष्ट्रीय भाषा का दर्जा दिलाना तथा प्रचार प्रसार करना है। साथ ही हिंदी को जन-जन तक पहुंचाना है। वर्तमान वक़्त में पीएम नरेंद्र मोदी भी विश्व पटल पर हिंदी भाषा में भाषण देते हैं। इससे पूर्व दिवगंत पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी में भाषण दिया था।

भारत में हिंदी दिवस 

हिंदी दिवस तथा विश्व हिंदी दिवस दो अलग दिनांक को मनाया जाता है। विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी को मनाया जाता है। वहीं, हिंदी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है। हिंदी के महान साहित्यकार व्यौहार राजेन्द्र सिंह ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए बहुत श्रम किया। उनकी मेहनत तथा संघर्ष के कारण हिंदी राष्ट्रभाषा बन सकी। व्यौहार राजेन्द्र सिंह का जन्म 14 सितंबर, 1900 को एमपी के जबलपुर में हुआ था।

सविंधान सभा ने उनकी कोशिशों पर गंभीरता से संज्ञान लेते हुए 14 सितंबर, 1949 को सर्वसम्मति से यह फैसला लिया कि हिंदी ही देश की राष्ट्रभाषा होगी। इस दिन व्यौहार राजेन्द्र सिंह का 50 वां जन्मदिन भी था।  हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने में काका कालेलकर, मैथिलीशरण गुप्त, हजारीप्रसाद द्विवेदी, सेठ गोविन्ददास की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

कैसे मनाया जाता है

इस दिन विश्वभर में भारत के दूतावासों में विश्व हिंदी मनाया जाता है। जहां, हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए सांस्कृतिक समारोह आयोजित किए जाते हैं। साथ-साथ कई स्कूल, कॉलेजस में उत्साह से विश्व हिंदी मनाया जाता है। कई लोग हिंदी भाषा तथा भारतीय संस्कृति की अहमियत के बारे में बात करने के लिए आगे आते हैं। स्कूल हिंदी बहस, हिन्दी दिवस पर कविता तथा कहानी कहने वाली प्रतियोगिताओं एवं सांस्कृतिक समारोह की मेजबानी करते हैं।

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