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नौकरशाहों के गलत फैसलों सरकार की छवि शिक्षक और कर्मचारी विरोधी बनी : बीजेपी एमएलसी देवेन्द्र प्रताप सिंह

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ। यूपी विधान परिषद गोरखपुर-फैजाबाद स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के सदस्य देवेन्द्र प्रताप सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर प्रदेश में शिक्षकों बढ़ते हुए जनाक्रोश को रोकने के लिए डिजिटल हाजिरी के निर्णय को वापस लेने की मांग की है।

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देवेन्द्र प्रताप सिंह ने लिखा कि आपके सुशासन और कानून व्यवस्था की सर्वत्र सराहना होती है। कहा कि राज्य और राष्ट्र की सीमा के बाहर भी आपके सुशासन माडल की चर्चा होती है। अब अचानक ऐसा क्या हुआ कि प्रदेश की जनता आपसे नाराज हो गई? कई कारणों के एक साथ मिल जाने से 2024 का अनपेक्षित परिणाम मिला। उन्होंने कहा कि सरकार की छवि शिक्षक और कर्मचारी विरोधी की बन गई है। इसके लिए जिम्मेदार नौकरशाह हैं। उनके द्वारा लिए गए फैसलों से जनाक्रोश भड़क उठा। नौकरशाहों के तरफ से लिए गए निर्णय सरकार के लिए अभिशाप बन गए है। भारत की गुरु परम्परा पुरातन काल से सर्वश्रेष्ठ रही है। “गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागू पाव” इसमें गुरू को ही श्रेष्ठ माना गया है ।

देवेन्द्र प्रताप सिंह ने लिखा कि प्राथमिक शिक्षक कोरोना काल में जब रक्त के रिश्ते भी बेमानी हो गए थे, ऐसे संकट काल में चुनावी दायित्व का निर्वहन करने में 1621 शिक्षक अकाल मृत्यु के शिकार हुए। उनका लोकतंत्र के लिए दिया गया बलिदान भुला दिया गया। भारत को पोलियो में विश्व रिकार्ड दिलाने वाले शिक्षकों को डिजिटल हाजिरी के नाम पर अपमानित और प्रताड़ित किया जा रहा है। शिक्षकों से शिक्षण कार्य के अतिरिक्त 30 कार्य आफ लाइन लिए जाते हैं परन्तु हाजिरी आनलाइन क्यों? क्या शिक्षकों को गैर शैक्षिक कार्यों के लिए कोई अतिरिक्त सुविधा दी जाती है? क्या शिक्षक इंसान न होकर मशीन बन गए हैं? विचारणीय प्रश्न यह है कि डिजिटल हाजिरी अन्य विभागों में क्यो नहीं?

महानिदेशक शिक्षा कार्यालय में पिछले दिनों 85 कर्मचारी अनुपस्थित पाए गए थे। क्या उन्होंने अपने कार्यालय में डिजिटल हाजिरी लागू किया? क्या आपको पता है कि पुराना स्मार्टफोन बाजार में साढ़े सात हजार में मिलता है उसे अधिक मूल्य पर क्रय करने वाले अधिकारियों ने राजकोष की कितनी लूट की ? नौकरशाहों की साजिश से बचना होगा।

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बढ़ते हुए जनाक्रोश को रोकने के लिए डिजिटल हाजिरी के निर्णय को वापस लेना होगा। पुरानी पेंशन देना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में कहा कि तदर्थ शिक्षकों की लम्बी सेवा को देखते हुए हम इन्हें बाहर करने की मंशा नही रखते। सुप्रीम कोर्ट की इस भावना का आदर करते हुए रिक्त पदों पर आमेलित करना होगा।

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