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अखिलेश यादव ने बर्बाद किया आजम खान का सियासी करियर : Imran Masood

By संतोष सिंह 
Updated Date

संभल। हाल ही में हाथी की सवारी करने वाले फायर ब्रांड नेता इमरान मसूद (Imran Masood) ने समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav ) पर शुक्रवार को बड़ा हमला बोला है। उन्होंने आजम खान (Azam Khan) का सियासी करियर बर्बाद करने का आरोप लगाकर अखिलेश के खिलाफ जंग का आगाज कर दिया है।

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यूपी के संभल जिले में बसपा के सम्मेलन में पहुंचे इमरान मसूद (Imran Masood) ने अखिलेश यादव पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि ‘अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav )  ने आजम खान (Azam Khan) का सियासी करियर बर्बाद कर दिया है। आजम खान पर हो रहे जुल्म के लिए अखिलेश यादव जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि ‘अखिलेश को अपनी जाति के लोगों का भी वोट भी नहीं मिला। इसलिए अधिकांश सीटों पर उनकी हार हुई।’ यही नहीं इमरान मसूद ने कहा कि अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav ) को वहीं सफलता मिली, जहां मुसलमानों ने उसे वोट दिया।

इमरान मसूद (Imran Masood) ने सपा के हाथों से मुस्लिम वोट छीनने की कोशिश के खुलकर संकेत दिए। उन्होंने कहा कि मुस्लिमों को कब तक भाजपा से नफरत के नाम पर इस्तेमाल किया जाता रहेगा। इमरान मसूद (Imran Masood )ने कहा कि मुस्लिमों के वोट लेकर सियासत करने वाले हमें धमकाने वाले, हमसे गुलामों की तरह पेश आने वाले लोगों की बातों में न आएं। इस दौरान इमरान मसूद ने सपा छोड़कर मायावती संग आने की वजह भी बताई। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav ) तो अपने लोगों के भी काम नहीं आ रहे थे। इसलिए मैंने सपा से किनारा करना ही ठीक समझा है।

मायावती ने कांग्रेस और सपा में रह चुके इमरान मसूद (Imran Masood) को जब अक्टूबर में पार्टी में शामिल करते हुए उन्हें पश्चिम यूपी की कमान दी थी, तभी से कयास लगने लगे थे कि वह अपनी रणनीति बदल रही हैं। माना जा रहा था कि इमरान मसूद (Imran Masood के जरिए वह ऐसे वक्त में मुस्लिम वोटों पर फोकस कर सकती हैं, जब अल्पसंख्यक समुदाय के सपा से नाराज होने की चर्चाएं चल रही हैं। खासतौर पर आजम खान की विधानसभा सदस्यता छिनने, मुकदमे लगने और उन पर ऐक्शन ने यह सवाल खड़ा किया है कि अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav )  खुलकर क्यों नहीं बोलते? अब इमरान मसूद (Imran Masood) ने यह संदेश मुस्लिमों में देना शुरू भी कर दिया है।

बसपा को कैसे है फायदे की आस?

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बता दें कि मायावती ने 2007 में बड़ी जीत के बाद ब्राह्मण नेताओं को महत्व दिया था। इसके जरिए वह दलितों और ब्राह्मणों को साथ लाकर सत्ता की कुंजी हासिल करने की कोशिश में थीं। हालांकि वह इस कोशिश में मुस्लिम वोटों की सियासत से दूर होती दिखीं। अब जब बसपा अपने सबसे बुरे दौर में है तो उन्होंने रणनीति बदली है। अब वह सपा के एमवाई गठजोड़ के मुकाबले बसपा का बीडीएम गठजोड़ मजबूत करने की कोशिश में हैं। इसके तहत वह ब्राह्मण, दलित के अलावा मुस्लिमों को भी पार्टी में लाने की कोशिश में हैं। इसका जिम्मा फिलहाल उन्होंने इमरान मसूद (Imran Masood) को दिया है, जो पश्चिम यूपी में अपील रखते हैं।

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