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Bakrid Special: आखिर क्यों दी जाती है बकरीद पर बकरों की कुर्बानी, वजह जान उड़ जाएंगे होश

By आराधना शर्मा 
Updated Date

उत्तर प्रदेश: इस्लामिक उपदेशकों के सबसे शुभ त्योहारों में से एक, बकरीद पूरी दुनिया में मुस्लिम समुदाय द्वारा बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। ईद-उल-फितर के त्योहार के लगभग दो महीने बाद मनाई जाती है बकरीद। 

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यह त्योहार मुसलमानों का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है क्योंकि यह दिन मवेशियों की बलि का प्रतीक है – बकरी, भेड़, ऊंट, भैंस चाहे जितनी भी संख्या में व्यक्ति खर्च कर सकता है। इस दिन को बकरा ईद, बकरीद, ईद अल-अधा, ईद कुर्बान या कुर्बान बयारामी के नाम से भी जाना जाता है।

दुनियाभर के मुसलमान 21 जुलाई को अपना त्‍योहार मनाने की तैयारियों में जुटे हैं। भारत में बकरा ईद, ईद उल अजहा 2021 में 21 जुलाई को मनाया जाएगा। मुसलमानों के लिए ये दिन बहुत खास होता है। इस दिन मुस्लिम लोग अपने ईष्‍ट के प्रति अपनी श्रद्धा और विश्‍वास को दर्शाते हैं। आइये जानते हैं आखिर क्यों दी जाती है बकरीद पर कुर्बानी…

त्‍याग का है त्‍योहार

इस्‍लाम के मुताबिक अपने विश्‍वास को दर्शाने के लिए इस दिन मुस्लिम अपने पैगंबर को महान त्‍याग देते हैं। ईद उल अजहा के दिन मुस्लिम धर्म के लोग अपने पैगंबर को खुश करने के लिए बकरे या किसी अन्‍य पशु की कुर्बानी देते हैं और इसके द्वारा वह अपनी भक्‍ति को दर्शाते हैं। इस दिन को इस्‍लाम में फर्ज-ए-कुर्बान कहा गया है क्‍योंकि इस दिन मुसलमान अपने पैगंबर के लिए अपने फर्ज को अदा करते हैं। यह मुसलमानों का एक खास त्‍योहार माना जाता है और अलग-अलग देशों में इसे अलग-अलग तारीख पर मनाया जाता है। इस दिन को मनाने के पीछे एक कहानी भी प्रचलित है।

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बकरीद की कहानी

इस्‍लाम के इस त्‍योहार के बारे में कहा जाता है कि इब्राहिम अलैय सलाम नाम का एक शख्‍स था जिसकी एक भी संतान नहीं थी। उसने बहुत मन्‍नतें मांगी और उसके बाद जाकर उसके घर में एक लड़के का जन्‍म हुआ। सलाम ने अपने बेटे का नाम इस्‍माइल रखा। एक दिन इब्राहिम ने अपने सपने में अल्‍लाह को देखा जिन्‍होंने उनसे कहा कि तुम्‍हें दुनिया में जो भी चीज़ सबसे ज्‍यादा प्‍यारी है उसकी कुर्बानी दे दो।

अल्‍लाह के हुक्‍म पर इब्राहिम सोच में पड़ गया। उसके लिए उसका बेटा इस्‍माइल ही सबसे ज्‍यादा अजीज था। उसने धर्म की खातिर अपने बेटे की भी कुर्बानी देने में विलंब नहीं किया। इब्राहिम ने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली और अपने बेटे की बलि के लिए जैसे ही छुरी चलाई वैसे ही एक फरिश्‍ते ने आकर उसके बेटे की जगह एक मेमना रख दिया और इस तरह मेमने की कुर्बानी दी गई।

ईद का त्‍योहार मुसलमानों के लिए बहुत खास होता है। इस दिन वो नए-नए कपड़े पहनते हैं और घर में तरह-तरह के पकवान बनते हैं। मुस्लिम धर्म में खाना मांस के बिना अधूरा माना जाता है इसलिए इनके खाने में मांस जरूर होता है और फिर ये तो बकरी ईद का त्‍योहार है। इस त्‍योहार पर विशेष तौर पर मांस के तरह-तरह के व्‍यंजन बनाए जाते हैं।

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