Bhojan Karane Ke Niyam : जीवन चक्र में भोजन का विशेष महत्व है। तन मन स्वस्थ और सुन्दर बना रहे इसके लिए नियम पूर्वक भोजन आवश्यक होता है। भोजन को बनाने से लेकर उसको ग्रहण करने के नियम बने हुए है। इन नियमों का पालन करने से व्यक्ति निरोगी और उर्जावान बना रहता है। वैदिक धर्म शास्त्रों में भोजन को मां अन्नपूर्णा कहा जाता है। वास्तु शास्त्र में रसोई घर को मां लक्ष्मी का निवास स्थान कहा जाता है। आयुर्वेद के अनुसार ,जो भोजन सात्त्विक व्यक्तियों को प्रिय होता है, वह आयु बढ़ाने वाला, जीवन को शुद्ध करने वाला तथा बल स्वास्थ्य,सुख तथा तृप्ति प्रदान करने वाला होता है। ऐसा भोजन रसमय,स्निग्ध,स्वास्थ्यप्रद तथा हृदय को भाने वाला होता है। भोजन को लेकर दिशा का भी ज्ञान होना आवश्यक है। आइये जानते है भोजन के शुभ और अशुभ संकेतों के बारे में।
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1.दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन करने से मान-सम्मान की हानि होती है। यदि व्यक्ति पश्चिम की ओर मुख करके खाना खाता है तो ऐसा करना भी बेहद शुभ माना जाता है। बता दें कि पश्चिम की ओर मुख करके खाना खाने से करियर की राह में उन्नति आती है. साथ ही व्यक्ति को तरक्की हासिल होती है।
2.हमेशा भोजन बैठकर करें। कभी भी सीधे जमीन पर बैठकर भोजन न करें, बल्कि आसन बिछाएं।
3.बिस्तर पर बैठ कर भोजन नहीं करना चाहिए।
4.खाना खाने के बाद थाली में हाथ नहीं घुलना चाहिए। यह शुभ नहीं माना जाता है।
5.खाना खाते समय क्रोध और बातचीत न करें। इसके अलावा भोजन करते समय अजीब सी आवाजें निकालना भी अच्छा नहीं होता।