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Big Breaking : राकेश सचान गिट्टी चोरी के मामले में दोषी करार, कोर्ट में पेशी के बाद गायब, मीडिया पर चली रही खबरों का मंत्री ने किया खंडन

By संतोष सिंह 
Updated Date

कानपुर। योगी सरकार (Yogi Government) में एमएसएमई मंत्री ( MSME Minister) राकेश सचान (Rakesh Sachan) को कानपुर की एसीएमएम तृतीय कोर्ट (ACMM III Court of Kanpur) ने दोषी करार देते हुए फैसला सुरक्षित कर लिया है। उनके खिलाफ गिट्टी चोरी का मामला कोर्ट में विचाराधीन था। शनिवार को कोर्ट में बहस के समय मंत्री राकेश सचान (Rakesh Sachan)  पेशी पर पहुंचे थे, लेकिन फैसला आने से पहले वह कोर्ट से फरार हो गए।

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एसीएमएम 3 कोर्ट ने 35 साल पुराने रेलवे की गिट्टी चोरी और बरामदगी के मामले में बहस पूरी होने के बाद ऑर्डर होल्ड पर कर लिया है।  मंत्री के वकील अविनाश कटियार होल्ड ऑर्डर कोर्ट से जबरन लेकर गायब हो गए। कोर्ट मंत्री के वकील के खिलाफ अवमानना का मामला दर्ज कर सकती है। एसीएमएम तृतीय आलोक यादव सजा होल्ड करने के बाद न्यायालय से उठे। बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों के दबाव के चलते मामले को दबाने की कोशिश हो रही है।

राकेश सचान (Rakesh Sachan) कानपुर के किदवई नगर के रहने वाले हैं। इन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत समाजवादी पार्टी से की थी। 1993 और 2002 में वह घाटमपुर विधानसभा सीट से विधायक रहे । 2009 में उन्होंने फतेहपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीता था। उन्होंने बसपा के महेंद्र प्रसाद निषाद को करीब एक लाख वोटों से हराया था। राकेश सचान मुलायम सिंह और शिवपाल सिंह के बेहद करीबी माने जाते थे। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया था।

वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व सांसद राकेश सचान (Rakesh Sachan)  कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। भाजपा ने राकेश सचान को कानपुर देहात की भोगनीपुर विधानसभा सीट (Bhognipur Assembly Seat) से प्रत्याशी बनाया था और उन्होंने सपा के नरेंद्र पाल सिंह को हराकर जीत हासिल की थी। प्रदेश सरकार में उन्हें एमएसएमई मंत्री बनाया था।

जानें क्या है मामला

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योगी सरकार (Yogi Government)  में मंत्री राकेश सचान (Rakesh Sachan)  के खिलाफ रेलवे की ठेकेदारी के दौरान गिट्टी चोरी होने पर आइपीसी की धारा 389 और 411 में मुकदमा दर्ज किया गया था। चोरी गई गिट्टी की बरामदगी भी हो गई थी।

धारा 389 में सजा का प्रावधान : किसी व्यक्ति को अपराध (जिसकी सज़ा मॄत्यु दण्ड या आजीवन कारावास, या दस वर्ष तक कारावास है) का आरोप लगाने का भय दिखलाना। सजा – दस वर्ष कारावास और आर्थिक दण्ड। यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

धारा 411 में सजा का प्रावधान : चोरी की संपत्ति को बेईमानी से प्राप्त करना। इसमें सजा तीन वर्ष कारावास या आर्थिक दंड या दोनों हो सकती है। यह एक गैरजमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

मंत्री राकेश सचान का दावा

मीडिया पर चली रही खबरों का खंडन करते हुए  मंत्री राकेश सचान ने बताया कि 1990 के आसपास उनके खिलाफ एक रायफल व एक डबल बैरल बंदूक के लाइसेंस न होने का मुकदमा दर्ज किया गया था। जिसका लगातार ट्रायल चल रहा था।  दावा किया कि शनिवार को उसी मामले की सुनवाई हुई थी। कहा कि 1990 के आसपास वह जनता दल से विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहे थे । तभी तत्कालीन पीएम वीपी सिंह की रैली कानपुर में होनी थी और वह रैली की तैयारियां पूरी कराकर अपनी वैन से बर्रा स्थित आवास पर जा रहे थे। अचानक रास्ते में पुलिस ने वैन की तलाशी ली। वैन में एक रायफल व एक डबल बैरल बंदूक निकली, इनका लाइसेंस एमएसएमई मंत्री राकेश सचान के बाबा के नाम था। मंत्री ने पुलिस को लाइसेंस की जानकारी दी, मगर पुलिस ने उनकी एक न सुनी और मुकदमा दर्ज कर दिया. उन्होंने बताया कि उन पर कुल तीन मुकदमे दर्ज हैं। सभी मुकदमे छात्र जीवन के समय से हैं किसी तरह की चोरी का कोई मुकदमा उन पर दर्ज नहीं है।

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कानपुर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष यह बोले
इस पूरे मामले पर कानपुर बार एसोसिएशन अध्यक्ष नरेश चंद्र त्रिपाठी ने बताया कि मुकदमा संख्या 25ध/30 के तहत एमएसएमई मंत्री पर बंदूकों के लाइसेंस न होने का मुकदमा पिछले करीब 30 सालों से चल रहा था। शनिवार को इसी मामले में एमएसएमई मंत्री कोर्ट पहुंचे थे, पेशी के दौरान वह उपस्थित रहे। हालांकि अचानक उनके पेट में दर्द होने लगा और वह कोर्ट से वापस चले गए।  इस मामले पर जज नाराज हो गए।

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