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Supreme Court का बड़ा फैसला, कहा- वैक्सीन के लिए किसी को मजबूर नहीं किया जा सकता

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। कोविड संकट (Covid Crisis) के बीच सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  ने बड़ी टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि कोरोना का टीका लगवाने के लिए किसी को मजबूर नहीं किया जा सकता। कोर्ट में कोविड वैक्सीनेशन (Covid Vaccination) की अनिवार्यता को असंवैधानिक घोषित (Declared Unconstitutional) करने वाली याचिका पर सुनवाई चल रही थी। इस दौरान यह टिप्पणी की गई।

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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  ने कहा कि नीति निर्माण (Policy Making) पर कुछ कहना उचित नहीं है, लेकिन किसी को भी टीका लगवाने को मजबूर नहीं किया जा सकता। सरकार जनहित में लोगों को जागरूक कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  ने कोविड टीकाकरण (Covid Vaccination) की अनिवार्यता को असंवैधानिक घोषित (Declared Unconstitutional)  करने वाली याचिका पर फैसला सुनाते हुए ये बातें कही। कोर्ट ने कहा कि नीति निर्माण (Policy Making) पर कुछ कहना उचित नहीं है, लेकिन किसी को भी टीका लगवाने को मजबूर नहीं किया जा सकता।

टीका लगवाने और किसी तरह का खास दवा लेने के लिए मजबूर नहीं कर सकती सरकार 

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)   ने कहा कि सरकार जनहित में लोगों को जागरूक कर सकती है। बीमारी की रोकथाम के लिए पाबंदियां लगा सकती है, लेकिन टीका लगवाने और किसी तरह का खास दवा लेने के लिए मजबूर नहीं कर सकती। कुछ सरकारों ने महामारी के दौरान टीकाकरण की अनिवार्यता को लेकर जो पाबंदियां लगाई थी उन्हें फौरन हटा लेना चाहिए।

टीका लगवाना या न लगवाना हर नागरिक का निजी फैसला

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कोर्ट ने अपने फैसले में केंद्र सरकार से जनता और डॉक्टरों से बात कर एक रिपोर्ट प्रकाशित करने को कहा है, जिसमें वैक्सीन के असर और प्रतिकूल असर का शोध सर्वेक्षण हो। केंद्र सरकार की कोविड टीकाकरण (Covid Vaccination)  की नीति को समुचित बताते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)    ने साफ कर दिया कि टीका लगवाना या न लगवाना हरेक नागरिक का निजी फैसला है। किसी की भी कोई भी टीका लगवाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। वैक्सीन नीति पर राज्य सरकारों को सुझाव देते हुए अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)    ने कहा कि वैक्सीन की अनिवार्यता के माध्यम से व्यक्तियों पर लगाए गए प्रतिबंधों को आनुपातिक और सही नहीं कहा जा सकता है।

अब जबकि संक्रमण के फैलाव और तीव्रता के साथ संक्रमित लोगों की संख्या कम है तो सार्वजनिक क्षेत्रों में आने जाने पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जाना चाहिए। सरकारों ने यदि पहले से ऐसा कोई नियम या पाबंदी लगा रखी हो तो उसे वापस ले लें। कोर्ट ने कहा कि हमारा यह सुझाव कोविड की रोकथाम के लिए तय किए गए हरेक समुचित और स्वास्थ्य अनुकूल व्यवहार और नियमों तक विस्तारित नहीं है, लेकिन यह तेजी से बदलने वाली स्थिति होती है। लिहाजा हमारा ये सुझाव केवल वर्तमान स्थिति के ही परिप्रेक्ष्य में ही है।

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