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हर माह अपने संतरे की करें जांच, दिल्ली मेट्रो में लगा ब्रेस्ट कैंसर जागरूकता पोस्टर तो मचा बवाल, DMRC ने लिया एक्शन

By संतोष सिंह 
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नई दिल्ली। दिल्ली मेट्रो (Delhi Metro) आए दिन कपल्स की अश्लील हरकतों ,एक दूसरे से लड़ने झगड़ने की वजह से सुर्खियों में रहती थी, लेकिन इस बार कुछ ऐसा हुआ है जिसे सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे। दिल्ली मेट्रो (Delhi Metro) में एक विज्ञापन लगा, जिससे इतना बवाल मचा कि DMRC को भी एक्शन लेना पड़ गया। यह विज्ञापन ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस (Breast Cancer Awareness Poster) का था।

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यूवीकैन फाउंडेशन ने ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस को लेकर दिल्ली मेट्रो में AI जेनरेटेड एक विज्ञापन लगाया है, लेकिन विज्ञापन (Breast Cancer Awareness Advertisement) को ज्यादा क्रिएटिव बनने के चक्कर में यह कुछ ऐसा बन गया कि लोगों को इस पर आपत्ति होने लगी। लोग इसे अश्लील बताने लगे। आलम ये है कि इस विज्ञापन को देखकर मेट्रो में ट्रैवल कर रही लड़कियों और महिलाओं को शर्म तक आ रही है। सोशल मीडिया पर भी इस विज्ञापन को लेकर भारी बवाल मचा हुआ है।

ब्रेस्ट कैंसर जागरूकता माह (Breast Cancer Awareness Month) को बढ़ावा देने के उद्देश्य से चलाए गए इस अभियान की इसलिए आलोचना की गई क्योंकि इसमें ब्रेस्ट को संतरे के रूप में संदर्भित किया गया है। विज्ञापन में लिखा है- हर महीने अपने संतरे की जांच करें। विवादास्पद यूवीकैन फाउंडेशन पोस्टर में बस में संतरे पकड़े महिलाओं की एआई-जनरेटेड तस्वीरें हैं। आलोचकों का मानना ​​है कि शरीर के अंगों को दर्शाने के लिए फलों का उपयोग करना ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) की गंभीरता को कम करता है और इससे प्रभावित लोगों की गरिमा का अनादर करता है।

DMRC को किया टैग

कई यूजर्स ने इस विज्ञापन की तस्वीरों को सोशल मीडिया पर शेयर किया। कई महिलाओं ने लिखा- इन्हें ब्रेस्ट कहिए, न कि संतरे। कईयों ने DMRC हैंडल को टैग कर सवाल किया- ट्रेन में इस तरह के विज्ञापन को क्यों लगाने दिया गया है? इसे फौरन हटाने की मांग की गई है। एक रिपोर्ट की मानें तो डीएमआरसी ने लोगों की आपत्ति का संज्ञान लिया है। जल्द ही इन पोस्टर को हटा दिया जाएगा।

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जानें क्या बोलीं फाउंडेशन की ट्रस्टी?

यूवीकैन फाउंडेशन (YouWeCan Foundation) की ट्रस्टी पूनम नंदा ने पोस्टर का बचाव करते हुए कहा कि उनकी संस्था ने 3 लाख महिलाओं को जागरूक किया और 1.5 लाख की स्क्रीनिंग की है। उन्होंने कहा कि अगर संतरों के इस्तेमाल से लोग ब्रेस्ट के स्वास्थ्य की बात करते हैं और उससे एक भी जिंदगी बचती है तो यह सार्थक है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में खुलकर ब्रेस्ट की बात करने में लोग असहज महसूस करते हैं।

 

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