लखनऊ। ईसाई समुदाय (Christian Community) बुधवार, 14 फरवरी 2024 को, दुनिया भर में और हमारे देश में भी ईसाई समुदाय राख बुधवार मनाता है, जो उपवास और परहेज का दिन है, और जो 40 दिनों के चालीसा काल (Lenten Season) की शुरुआत करता है। लेंट, 40 दिनों की अवधि, जिसे चालीसा का काल कहा जाता है, ईसाई समुदाय को उपवास, तपस्या, प्राथना और दया के कार्यों के साथ अपने जीवन की समीक्षा करने के लिए आमंत्रित करता है।
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यह जानकारी लखनऊ सूबा के चांसलर एवं प्रवक्ता रेव्ह. डॉ. डोनाल्ड डी सूजा ने दी है। उन्होंने ने बताया कि राख बुधवार को, पवित्र मिस्सा के दौरान, आम तौर पर शाम के समय, पिछले वर्ष के ‘खजूर का ईथवार’ (पाम संडे) की जली हुई जैतून की डालियों की राख, लोगों के सिर पर इन शब्दों के साथ लगाई जाती है: ” याद रखो, हे मनुष्य, कि तुम मिट्टी हो, और तुम मिट्टी में ही लौट जाओगे”, मानव जीवन की नाजुकता का एक उपयुक्त अनुस्मारक, इस दुनिया में एक अच्छा, ईमानदार और करुणामय मानव जीवन जीने के आह्वान के साथ होता है।
चांसलर एवं प्रवक्ता रेव्ह. डॉ. डोनाल्ड डी सूजा ने बताया कि चालीसा काल का मुख्य आकर्षण लेंट के 40 दिनों के दौरान प्रत्येक शुक्रवार को उपवास और परहेज है, जिसमें दुनिया भर में लाखों ईसाई, विशेष रूप से हमारे देश में भी, चालीसा के पूरे काल में, 40 दिनों के लिए मांसाहारी जीवन (मछली, अंडे या मांस खाना) छोड़ देते हैं, पास्का (ईस्टर) के महान पर्व तक, जो ईस साल 31 मार्च को होगा।
ख्रीस्तीय विश्वास के अनुसार चालीसा काल, इस्टर व पास्का पर्व के पहले के समय को कहा जाता है। चालीसा काल राख बुधवार से शुरू होता है। राख बुधवार के दिन सभी मसीह समुदाय माथे पर राख का लेप लगते है जो अपने गलतियों के प्रायश्चित का प्रतीक माना जाता है।
चालीसा काल का यह समय पास्का मनाने के पहले मनन चिंतन और प्रायश्चित और आध्यात्मिक तैयारी का समय होता है। पवित्र बाइबिल के अनुसार ईसा मसीह चालीस दिन और चालीस रात मरुस्थल में रह कर प्रार्थना और उपवास किए। इसी घटना का अनुकरण सभी मसीह भाई चालीसा काल में करते है। यह भी माना गया है कि यहूदी लोग 40 साल तक मरू भूमि में प्रतिज्ञात देश पहुंचने के पहले बिताए। नबी मूसा भी 40 दिनों तक मरू भूमि में रहकर उपवास किया ईश्वर से दस आज्ञा पाने के पूर्व। इसी के उपलक्ष्य में ईसाई समुदाय चालीसा काल का स्मरण करते है और अपने जीवन में प्रार्थनाएं उपवास और प्रायश्चित करके इस्टर व पास्का पर्व मनाने हैं।
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इसी चालीसा काल याने 40 दिन में लगभग सात सप्ताह होते है, और सातवें सप्ताह को पवित्र सप्ताह माना जाता है, और पवित्र सप्ताह खजूर रविवार से शुरू होता है। इस्टर के दिन ईसाई समुदाय का विश्वास है कि येसु मसीह जो मर गये थे तीन दिन के बाद जी उठे। इसी विशेष घटना के स्मरण में भक्त रात्रि जागरण कर जलती हुए मोमबत्ती लेकर इस त्योहार को बड़े हर्ष और उल्लास से मनाते हैं।