नई दिल्ली। भारतीय राष्ट्रीय राजनीति में कुछ पल ऐतिहासिक हो जाते है। उस पल की घटनाएं तत्कालिक राजनीति चेतना को झकझोर देती है। ऐसा दौर राजनीति के तौर तरीकों के बदलाव का और कुछ कठिन फैसलों, सुधारात्मक रणनितियों को बनाने का होता है। मौजूदा वक्त में विपक्षी दल कांग्रेस को अपने इतिहास के सबसे कठिन दौर से गुजरना पड़ रहा है। इन दिनों भारतीय राष्ट्रीय कांगेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
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गुजरात के सूरत कोर्ट ने गुरुवार 22मार्च 2023 को ,मोदी सरनेम, मानहानि मामले में उनको दो साल की सजा सुनाई थी। हालांकि तुरंत ही उनको जमानत दे दी गई। जिसके बाद शुक्रवार को वो लोकसभा की कार्यवाही में पहुंचे। इस बीच दोपहर को लोकसभा सचिवालय ने उनको लेकर एक अधिसूचना जारी की। जिसके तहत उनकी लोकसभा की सदस्यता खत्म कर दी गई है। जिसके बाद से कांग्रेस कार्यकर्ता भड़के हुए हैं और अलग-अलग राज्यों में बीजेपी और केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे। कांग्रेस और बीजेपी दोनों तरफ से सधे हुए हमले हो रहे है। कांग्रेस अब डट कर मुकाबला करने की बात कर रही है तो बीजेपी इसे न्याय की जीत बता रही है। कांग्रेस धुररंधरों ने अगली लड़ाई के लिए रणनीति बनाना शुरू कर दिया है।
कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल (Congress MP KC Venugopal) ने कहा कि जिस दिन राहुल गांधी ने अडानी, पीएम के खिलाफ सवाल उठाए, राहुल गांधी को चुप कराने के लिए इस प्रकार की साजिश शुरू की गईं। ये बीजेपी सरकार के लोकतंत्र विरोधी, तानाशाही रवैये का स्पष्ट मामला है।
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर (Union Minister Anurag Thakur) ने कहा कि पिछले 15-20 साल में कांग्रेस ने लगातार OBC की छवि खराब करने की कोशिश की है। राहुल गांधी (Rahul Gandhi) द्वारा मोदी सरनेम को लेकर की गई टिप्पणी OBC की छवि खराब करने की कोशिश है और OBC का अपमान है।
लीगल एक्सपर्ट के मुताबिक , लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की संसदीय सीट वायनाड को खाली घोषित कर दिया है। इलेक्शन कमीशन अब इस सीट पर इलेक्शन का ऐलान कर सकता है। दिल्ली में राहुल गांधी को सरकारी बंगला खाली करने को भी कहा जा सकता है।
अगर राहुल गांधी की सजा का फैसला ऊंची अदालतें भी बरकरार रखती हैं तो वे अगले 8 साल तक चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे। 2 साल की सजा पूरी करने के बाद वह छह साल के लिए अयोग्य रहेंगे। राहुल गांधी अब सूरत कोर्ट के फैसले को अदालत में चुनौती दे सकते हैं। कांग्रेस ने एक्शन की वैधानिकता पर भी सवाल उठाया है कि राष्ट्रपति ही चुनाव आयोग के साथ विमर्श कर किसी सांसद को अयोग्य घोषित कर सकते हैं।