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Delhi Excise Policy : कोर्ट से आप सांसद संजय सिंह और मनीष सिसोदिया को झटका, 3 फरवरी तक बढ़ाई न्यायिक हिरासत

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति (Delhi Excise Policy) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) मामले में दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट (Rouse Avenue Court, Delhi) ने आप सांसद संजय सिंह (AAP MPs Sanjay Singh) और मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) की न्यायिक हिरासत (Judicial Custody) 3 फरवरी तक बढ़ा दी है। उनकी पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (Video Conferencing) के जरिए हुई। वहीं, कोर्ट ने सर्वेश मिश्रा (Sarvesh Mishra) और अमित अरोड़ा (Amit Arora) की जमानत पर भी फैसला 24 जनवरी के लिए सुरक्षित रख लिया है।

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इससे पहले अदालत ने शुक्रवार को दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति मामले (Delhi Excise Policy)  में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जांच की ताजा स्थिति रिपोर्ट मांगी। वहीं, मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia)  और अन्य आरोपियों की न्यायिक हिरासत (Judicial Custody)  पांच फरवरी तक बढ़ा दी। राउज एवेन्यू कोर्ट (Rouse Avenue Court) के विशेष सीबीआई न्यायाधीश एमके नागपाल (Special CBI Judge MK Nagpal) ने आरोपी व्यक्तियों के लिए सीबीआई (CBI)  कार्यालय में दस्तावेजों का निरीक्षण करने का अवसर देने से इनकार करते हुए कहा कि सभी को पर्याप्त समय दिया गया है। यह भी कहा कि आरोप तय करने के लिए मामले को बहस के लिए सूचीबद्ध किया जाना चाहिए।

मामले में शुक्रवार को दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) की तिहाड़ जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (Video Conferencing) के जरिए पेशी हुई। इस बिंदु पर आरोपियों के वकीलों ने कहा कि सीबीआई (CBI)  ने अभी तक जांच पूरी नहीं की है। इसके बाद कोर्ट ने स्टेटस रिपोर्ट मांगी ताकि आरोपों पर बहस शुरू की जा सके। वकील ने यह भी कहा कि सीबीआई  (CBI) की ओर से जांच की स्थिति साफ नहीं की गई है। इस बीच, जांच अधिकारी द्वारा एक नई अनुपालन रिपोर्ट दायर की गई है, जिसमें कहा गया है कि खोज सूची प्रदान की गई है।

कोर्ट ने सीबीआई (CBI)  को यह निर्देश देने से इनकार कर दिया कि वह मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia)  के आवास और कार्यालय की तलाशी के दौरान जब्त किए गए दस्तावेज उन्हें मुहैया कराए। सिसोदिया के वकील ने कहा कि उन्हें तलाशी सूची तो मिली है, लेकिन तलाशी के दौरान जब्त किए गए दस्तावेज नहीं मिले हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अदालत को यह देखना चाहिए कि तलाशी कानूनी थी या अवैध। कोर्ट ने इनकार करते हुए कहा कि तलाशी के दौरान जब्त किए गए दस्तावेजों को उपलब्ध कराने का कोई प्रावधान नहीं है।

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