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देव स्नान पूर्णिमा: पुरी के भगवान जगन्नाथ मंदिर में मनाई गई देव स्नान पूर्णिमा

By अनूप कुमार 
Updated Date

नई दिल्ली: भगवान जगन्नाथ के भक्तों के लिए बहुत खुशी की खबर है।ओडिशा के पुरी में आज देव स्नान पूर्णिमा मनाया जा रहा है।आज भगवान जगन्नाथ को स्नान कराया जाएगा। हिंदू धर्म में इसे देव स्नान पूर्णिमा  के नाम से भी जाना जाता है। आज सुबह भगवान को उनके मंडप में पुजारियों ने उन्हें स्नान कराया। विश्व में श्रद्धालुओं के लिए इस त्योहार के आयोजन की लाइव-स्ट्रीमिंग भी की जा रही है।

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स्नान यात्रा में भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र, और देवी सुभद्रा को स्नान कराया जाता है। देवस्थान इस साल बृहस्पतिवार को है। यह रथ यात्रा उत्सव 23 जुलाई को संपन्न होगा। रथ यात्रा से जुड़े सभी कार्यक्रमों का आयोजन श्रद्धालुओं की गैर-मौजूदगी में किया जाएगा। रथ यात्रा में केवल सेवक और मंदिर प्रशासन से जुड़े अधिकारी ही हिस्सा लेंगे। गौरतलब है कि इस बार कोरोना की वजह से श्रद्धालुओं को शामिल होने की अनुमति नहीं है।  स्नान पूर्णिमा पहंडी के साथ सुबह 01:00 बजे प्रारंभ होगी और 04:00 बजे समाप्त होगी, पहंडी का अर्थ देवताओं की पैदल यात्रा से है।

भगवान जगन्नाथ करेंगे विश्राम
स्नान के बाद  भगवान जगन्नाथ 15 दिनों तक विश्राम करेंगे और रथ यात्रा के दौरान दोबारा प्रकट होंगे। इस बार प्रशासन के आदेश की वजह से मंदिर के बाहर किसी भी तरह की भीड़ नहीं है। स्नान यात्रा के दौरान मंदिर के आस-पास सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू है।

राजा के द्वारा पूरी होगी छेरा पहनरा की रस्म
स्नान पूर्णिमा के बाद छेरा पहनरा की रस्म पुरी के राजा दिब्यासिंह देव द्वारा सुबह 10:30 से शुरू की जाएगी। छेरा पहनरा रस्म के दौरान देवताओं के स्नान स्थल की सफाई की जाती है। उसके बाद  छेरा पहनरा के बाद सुबह 11:00 बजे से लेकर 12:00 बजे तक सभी सभी देवताओं को गजानन बेशा या हती बेशा के साथ सुसज्जित किया जाएगा। पौराणिक परंपरा के मुताबिक स्नान करने के बाद भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा बीमार पड़ जाते हैं इसलिए उन्हें अनसरा घर ले जाया जाता है।

स्नान यात्रा के दौरान मंदिर के आस-पास सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू रहेगी मंदिर के सामने वाली ग्रैंड रोड पर किसी को भी एकत्र होने की अनुमति नहीं होगी।  विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा 12 जुलाई को बिना श्रद्धालुओं के होगी। रथ यात्रा के दिन भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र, और देवी सुभद्रा के रथों को खींचकर गुंडिचा मंदिर लाया जाएगा जोकि मुख्य मंदिर से करीब तीन किलोमीटर दूर है। रथ यात्रा 12 जुलाई को सुबह साढ़े आठ बजे शुरू होगी और रथों को खींचने की प्रक्रिया शाम चार बजे से शुरू होगी। इसके बाद तीनों देवताओं को 23 जुलाई को मुख्य मंदिर में वापस लाया जाएगा।

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