Advertisement
  1. हिन्दी समाचार
  2. एस्ट्रोलोजी
  3. Devshayani Ekadashi 2023 : देवशयनी एकादशी को हरिशयनी एकादशी भी कहते है, मां लक्ष्मी को पूजन की वस्तुएं अर्पित की जाती है

Devshayani Ekadashi 2023 : देवशयनी एकादशी को हरिशयनी एकादशी भी कहते है, मां लक्ष्मी को पूजन की वस्तुएं अर्पित की जाती है

By अनूप कुमार 
Updated Date

Devshayani Ekadashi 2023 : हिंदू धर्म में जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि की पूजा अर्चना का विशेष महत्व है। भगवान श्रीहरि की विशेष पूजा के लिए एकादशी का व्रत रखा जाता है। वर्ष में पड़ने वाली एकादशी व्रत में देवशयनी एकादशी का खास महत्व है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं। देवशयनी एकादशी हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को होती है। देवशयनी एकादशी को हरिशयनी एकादशी, पद्मा एकादशी और आषाढ़ी एकादशी के नाम से भी जानते हैं।

पढ़ें :- Samudrik Shastra: सामुद्रिक शास्त्र में शारीरिक बनावट के बारे में बारीकी से बताया गया है , जानें  जिन लोगों का होंठ लाल होता है वो कैसे होते हैं

पौराणिक मान्यता है कि देवशयनी एकादशी के दिन से अगले 4 महीने के लिए भगवान विष्णु पाताल लोक में योग निद्रा में चले जाते हैं,और लगभग चार माह के बाद भगवान विष्णु को अपने शयनकाल से जगाना पड़ता है, जिसे हिन्दू धर्म में देवोत्थान एकादशी कहा गया है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, ये दिन विशेषरूप से भगवान विष्णु को समर्पित होता है।

देवशयनी एकादशी 2023 मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, इस साल 29 जून गुरुवार को तड़के 03 बजकर 18 मिनट से आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि शुरू हो रही है। इसकी समाप्ति 30 जून शुक्रवार को तड़के 02 बजकर 42 मिनट पर होगी। ऐसे में उदयातिथि का विचार करें तो देवशयनी एकादशी का व्रत 29 जून गुरुवार को रखा जाएगा।

एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु की पूजा में उन्हें तुलसी जरूर अर्पित किया जाता है। भगवान विष्णु को धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित किया जाता है, साथ ही साथ मां लक्ष्मी को भी ये सभी पूजन की वस्तुएं अर्पित की जाती है। एकादशी के दिन पूर्ण रूप से फलाहार ग्रहण किया जाता है।

पढ़ें :- Vaishakh Purnima 2024 : वैशाख पूर्णिमा की रात मां लक्ष्मी की करें पूजा , धन-धान्य के भंडार भर जाते है
Advertisement