मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने 2006 में मुंबई में गैंगस्टर छोटा राजन (Gangster Chhota Rajan) के कथित करीबी सहयोगी रामनारायण गुप्ता की फर्जी मुठभेड़ (Fake Encounter) मामले में मंगलवार को पूर्व पुलिसकर्मी प्रदीप शर्मा (Pradeep Sharma) को दोषी ठहराया और उम्रकैद की सजा (Life Imprisonment) सुनाई है।
पढ़ें :- इंडिगो संकट अभी भी नहीं हुआ खत्म! आज 300 से ज्यादा फ्लाइट्स कैंसिल, दिल्ली से बेंगलुरु तक का किराया 50000 पहुंचा
शर्मा दोषी करार
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की खंडपीठ ने शर्मा को बरी करने के सत्र न्यायालय के 2013 के फैसले को गलत और अस्थिर करार देते हुए रद्द कर दिया। अदालत ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने शर्मा के खिलाफ उपलब्ध भारी सबूतों को नजरअंदाज कर दिया था। सबूतों की सामान्य श्रृंखला मामले में उनकी संलिप्तता को स्पष्ट रूप से साबित करती है।
निचली अदालत के फैसले को पलटा
पीठ ने शर्मा को तीन सप्ताह में संबंधित सत्र अदालत के समक्ष सरेंडर करने का निर्देश दिया। उच्च न्यायालय ने पुलिसकर्मियों सहित 13 व्यक्तियों को निचली अदालत द्वारा दी गई दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा को भी बरकरार रखा और छह अन्य आरोपियों की दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा को रद्द कर दिया और उन्हें बरी कर दिया है।
पढ़ें :- बाबरी मस्जिद की नींव रखने घर से निकले हुमायूं कबीर, बोले- हाई कोर्ट के ऑर्डर के बाद, पुलिस मेरे साथ
हत्या के लिए 13 पुलिसकर्मियों सहित बाईस लोगों पर आरोप लगाया गया था। 2013 में सत्र न्यायालय ने सबूतों के अभाव में प्रदीप शर्मा को बरी कर दिया और 21 आरोपियों को दोषी ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। 21 आरोपियों में से दो की हिरासत में मौत हो गई।
अभियोजन पक्ष ने शर्मा के खिलाफ डाली थी याचिका
जहां अभियुक्तों ने अपनी दोषसिद्धि को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में अपील दायर की, वहीं अभियोजन पक्ष और मृतक के भाई रामप्रसाद गुप्ता ने प्रदीप शर्मा को बरी करने के फैसले के खिलाफ अपील दायर की। पीटीआई के मुताबिक, विशेष लोक अभियोजक राजीव चव्हाण ने तर्क दिया था कि वर्तमान मामले में, जो अधिकारी कानून और व्यवस्था के संरक्षक थे, वे स्वयं एक चरणबद्ध निर्मम हत्या में शामिल थे। मामले में शर्मा को दोषी ठहराने की मांग करने वाले अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया था कि पूर्व पुलिसकर्मी अपहरण और हत्या के पूरे ऑपरेशन का मुख्य साजिशकर्ता और प्रमुख था।
जानें क्या है पूरा मामला?
11 नवंबर, 2006 को लखन भैया का फर्जी एनकाउंटर हुआ था। 33 साल के वसई मुंबई के रहने वाले लखन भैया पर गैंगस्टर एक्ट के तहत मामला दर्ज था, उसे 11 नवंबर, 2006 को मुंबई पुलिस की एक टीम ने छोटा राजन गैंग के संदिग्ध सदस्य के रूप में हिरासत में लिया था और उसी दिन शाम को मुंबई के वर्सोवा में लखन भैया का एनकाउंटर हो गया था।