लखनऊ। लोक सभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा की हुई फजीहत के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नौकरशाही की पेंच टाइट करने की कोशिश कर रहे है और सारे विभागों की समीक्षा कर रहे हैं। अधिकारीयों और जनप्रतिनिधियों को हिदायत दे रहे हैं कि जनता के कार्यों में विशेष रूचि ले और जनकल्याण के कार्यों पर ज्यादा ध्यान दिया जाए लेकिन मुख्यमंत्री योगी के लाख प्रयास के वावजूद स्वास्थ्य मंत्रालय के कान पर जू तक नहीं रेंग रहा है। स्वस्थ्य मंत्री और स्वास्थ्य विभाग पर मुख्यमंत्री के आदेश और दिशा निर्देश का कोई असर नहीं पड़ रहा है। स्वस्थ्य विभाग के जिलों के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी का एक अहम पद होता है जो केंद्र और राज्य सरकार के सभी स्वास्थ्य सम्बन्धी योजनाओं को लागू कराने में अहम जिम्मेदारी होती है लेकिन विभागीय मंत्री के लापरवाही से प्रदेश के आधा दर्जन से अधिक जिलों में मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी का पद रिक्त है। बदायूं और सिद्धार्थनगर जिले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी का पद 6 महीने से रिक्त है सिद्धार्थनगर जिले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी विभागीय कामों में लापरवाही के चलते निलंबित किया गया था। बदायूं के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को एक मामले में निलंबित किया गया। जनपद बहराइच और शामली के मुख्य चिकित्सा अधिकारी महीनों पहले सेवानिवृत्त हो चुके हैं। तो वहीं फतेहपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को विभागीय लापरवाही के चलते हटा दिया गया था। जिस प्रदेश में आधा दर्जन से ज्यादा जनपदों में मुख्य चिकित्सा अधिकारी ही नहीं हैं वहां के स्वास्थ्य सेवाओं का क्या हाल होगा ये आप सोच सकते हैं?
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ऐसा भी नहीं है कि इन जिलो में मुख्य चिकित्सा अधिकारी की नियुक्ति की कोशिश नहीं की गई। मुख्यमंत्री कार्यालय में बदायूं मुख्य चिकित्सा अधिकारी की तैनाती के लिए पत्रवाली मांगी तो स्वास्थ्य विभाग ने 2-3 महीने तक जबाब ही नहीं दिया जबकि मुख्यमंत्री का स्पष्ट आदेश है कि कोई भी फाइल किसी को भी पटल पर 3 से 5 दिन से अधिक नहीं रहेगी लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय पर मुख्यमंत्री के आदेश का कोई असर नहीं है। इसी तरह मुख्यमंत्री कार्यालय ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी की तैनाती की फाइल मांगी तो स्वास्थ्य विभाग ने स्वास्थ्य मंत्री के हस्तक्षेप के चलते आधी अधूरी फाइल मुख्यमंत्री कार्यालय को भेज दी। 03 मार्च 2024 को बिना प्रस्ताव के स्वास्थ्य विभाग द्वारा मुख्य चिकित्सा अधिकारी की तैनाती की फाइल मुख्यमंत्री कार्यालय को भेज दी गई। जिसपर मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा 07 मार्च 2024 को विशेष टिप्पणी के साथ पत्रावली वापस स्वास्थ्य विभाग को भेज दी।
हालांकि, इसके बाद स्वास्थ्य विभाग आचार संहिता लागू होने का इन्तजार करता रहा, जिससे मुख्य चिकित्साधिकारी की तैनाती की फाइल दबाई जा सके। मुख्य चिकित्सा अधिकारी की तैनाती पर विभाग क्यों इतना लापरवाह है ये तो स्वास्थ्य मंत्री या विभागीय प्रमुख सचिव ही बता सकते हैं लेकिन विभाग के कार्य प्रणाली से तो प्रतीत हो रहा है कि दाल में कुछ काला है। स्वास्थ्य मंत्री और उनका विभाग मुख्यमंत्री कार्यालय के स्पष्ट आदेश के वावजूद भी मुख्य चिकित्सा अधिकारी के तैनाती में जानबूझ कर अडंगा लगाता रहा ताकि स्थानान्तरण सत्र आ जाए। स्थानान्तरण सत्र में स्वास्थ्य मंत्री अपनी मनमर्जी कर सके और अपने चहेतों को मुख्य चिकित्सा अधिकारी की कुर्सी पर बैठा सके।
पिछले वर्ष डेढ़ दर्जन से भी अधिक मुख्य चिकित्सा अधिकारी की तौनती में स्वास्थ्य मंत्री की फजीहत हो चुकी है। पिछली बार भी स्वास्थ्य मंत्री मुख्यमंत्री कार्यालय के आदेशों की अवहेलना करते रहे और अपने चहेतों को मुख्य चिकित्सा अधिकारी पद पर बैठा चुके हैं। आखिर क्या कारण है कि स्वास्थ्य विभाग आधा दर्जन से ज्यादा बिना मुख्य चिकित्सा अधिकारी के काम चला रहा है जबकि सरकार आम जनता के लिए कई योजनायें चला रही है जिसमें संचारी रोग पखवाडा का भी आयोजन हो रहा है। आखिर इन योजनायों की मॉनिटरिंग कौन कर रहा होगा ये तो स्वास्थ्य मंत्री ही बेहतर बता सकते है।
अब जबकि प्रदेश में सभी विभागों में स्थानातरण के लिए नियमावली जारी कर चुकी है और 30 जून तक स्थानातरण सत्र जारी है। स्थानातरण सत्र लागू होने के पश्चात् विभाग में स्थानातरण की जिम्मेदारी विभागीय मंत्री की होती है। अब देखने वाली बात यह है कि स्वस्थ्य मंत्री मुख्यमंत्री कार्यालय के निर्देशों को मानते हैं या विभाग में अपनी मनमर्जी से अपने चहेतों को मुख्य चिकित्सा अधिकारी की कुर्सी पर बैठाते हैं। लेकिन एक बात तो तय है कि अगर मुख्यमंत्री कार्यालय हस्तक्षेप नहीं करता है और स्वास्थ्य मंत्री अपनी मनमर्जी चलाते है तो पिछली बार की तरह इस बार भी मुख्य चिकित्सा अधिकारी का पद अपने चहेतों को देने से हिचकेंगें नहीं।
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क्र.स. | मुख्य चिकित्सा अधिकारी | जनपद | |
01 | डॉ लक्ष्मी सिंह | जौनपुर | वित्तीय अनियमितता एवं विभागीय जाँच में दोषी पाए गये है | |
02 | डॉ राम बदन राम | फिरोजाबाद | वित्तीय अनियमितता एवं विभागीय जाँच में दोषी पाए गये है | |
03 | डॉ आलोक रंजन | कानपुर | 05 माह पहले अपर निदेशक के पद पर प्रोन्नत हो चुके है , अभी तक तैनाती नहीं मिली है | |
04 | डॉ मनोज अग्रवाल | लखनऊ | 05 माह पहले अपर निदेशक के पद पर प्रोन्नत हो चुके है , अभी तक तैनाती नहीं मिली है | |
05 | डॉ वीरेन्द्र सिंह | रायबरेली | जनपद में 03 वर्ष का कार्यकाल पूरा हो चूके है | |
06 | डॉ अखिलेश मोहन | मेरठ | जनपद में 03 वर्ष का कार्यकाल पूरा हो चूके है | |
07 | डॉ सतीश सिंह | बहराइच | 03 माह पूर्व सेवानिवृत्ति हो चुके है | |
08 | डॉ संजय अग्रवाल | शामली | 03 माह पूर्व सेवानिवृत्ति हो चुके है | |
09 | डॉ अशोक कुमार | फतेहपुर | विभागीय अनियमितता में हटाये जा चुके है | |
10 | डॉ नरेन्द्र कुमार बाजपेई | सिद्धार्थनगर | 05 माह पूर्व निलंबित हो चुके है | |
11 | डॉ प्रदीप वार्ष्णेय | बदायूं | 07 माह पूर्व निलंबित हो चुके है | |