नई दिल्ली। देश में CAA लागू होने के बाद सियासी सरगर्मी बढ़ी हुई है। विपक्षी दलों की तरफ से इसको लेकर लगातार मोदी सरकार पर निशाना साधा जा रहा है। इन सबके बीच गृहमंत्री अमित शाह ने एक न्यूज एजेंसी से बातचीत करते हुए कहा कि, भाजपा ने 2019 में अपने घोषणा पत्र में कहा था कि हम CAA लाएंगे और पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश के शरणार्थियों को नागरिकता देंगे। भाजपा का एजेंडा बहुत स्पष्ट है और उसी एजेंडे के आधार पर हमें बहुमत मिला। 2019 में ही ये बिल संसद के दोनों सदनों ने पास कर दिया, उसके बाद कोविड के कारण ये थोड़ा लेट हुआ।
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इसके साथ ही उन्होंने कहा, विपक्ष तुष्टिकरण की राजनीति कर वोट बैंक को मजबूत करना चाहते हैं। वे बेनकाब हो चुके हैं और देश की जनता जानती है कि CAA इस देश का कानून है। मैं 4 साल में कम से कम 41 बार बोल चुका हूं कि CAA लागू होगा और चुनाव से पहले होगा। उन्होंने कहा, विपक्ष के पास कोई और काम नहीं है, उन्होंने यहां तक कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक में राजनीतिक फायदा है, तो क्या हमें आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई नहीं करनी चाहिए? उन्होंने यह भी कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाना भी हमारे राजनीतिक फायदे के लिए था। हम 1950 से कह रहे हैं कि हम अनुच्छेद 370 को हटाएंगे। उनका इतिहास है कि वे जो कहते हैं वह करते नहीं हैं, प्रधानमंत्री मोदी का इतिहास है कि जो भी भाजपा ने कहा है, मोदी ने जो कहा है, वह पत्थर की लकीर है। पीएम मोदी की हर गारंटी पूरी होती है।
गृहमंत्री ने कहा कि, CAA से इस देश के अल्पसंख्यकों या किसी और व्यक्ति को डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि CAA में किसी की नागरिकता लेने का प्रावधान नहीं है। CAA सिर्फ और सिर्फ तीन देश, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी शरणार्थियों को नागरिकता देने का कानून है।
इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि, दिल्ली के मुख्यमंत्री अपने भ्रष्टाचार के उजागर होने से आपा खो बैठे हैं। उन्हें पता नहीं है कि ये लोग भारत में आ चुके हैं और भारत में रह रहे हैं। अगर उन्हें इतनी ही चिंता है तो वे बांग्लादेशी घुसपैठियों की बात क्यों नहीं करते या रोहिंग्या का विरोध क्यों नहीं करते? दिल्ली का चुनाव उनके लिए लोहे के चबाने जैसा है, इसलिए वो वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं। वे विभाजन की पृष्ठभूमि भूल गए हैं, इसलिए उन्हें शरणार्थी परिवारों से मिलकर चाय पीनी चाहिए।
इसके साथ ही गृहमंत्री ने कहा कि, मैं ममता बनर्जी से करबद्ध निवेदन करना चाहता हूं कि राजनीति करने के हजारों मंच हैं, प्लीज बांग्लादेश से आए बंगाली हिंदू का अहित न करें, आप भी एक बंगाली हैं। ममता जी को मैं खुली चुनौती देता हूं कि इस कानून की धारा में से एक धारा वे नागरिकता छीनने वाली बता दें, वे खौफ पैदा कर रही हैं, हिन्दू और मुसलामानों के बीच विवाद कराना चाहती हैं। ममता जी इसको मत रोकिये, आप घुसपैठ रोकिये। असम में भाजपा सरकार आने के बाद घुसपैठ पूरी तरह से बंद हो गई है।
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