नई दिल्ली। लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने आज संसद में कार्यकर्ताओं, शोधकर्ताओं, पत्रकारों और विशेषज्ञों के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने नए डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम (New Digital Personal Data Protection Act) द्वारा आरटीआई अधिनियम (RTI Act ) में लाए गए परिवर्तनों पर चर्चा की, जिससे लोगों की सूचना तक पहुंचने की क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
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LoP Shri @RahulGandhi and Congress General Secretary Smt. @priyankagandhi ji met with a delegation of activists, researchers, journalists and experts in Parliament today.
The delegation discussed changes brought to the RTI Act by the new Digital Personal Data Protection Act,… pic.twitter.com/8lcpX3T0hy
— Congress (@INCIndia) March 25, 2025
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बताते चलें कि हाल ही भारत सरकार ने हाल ही में डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम (डीपीडीपी) के आधार पर सूचना के अधिकार कानून (आरटीआई) में कुछ संशोधन किए हैं। जिसका सामाजिक संगठनों द्वारा व्यापक स्तर पर विरोध किया जा रहा है। इसी सिलसिले में बीते शुक्रवार को दिल्ली के प्रेस क्लब में राष्ट्रीय जन सूचना अधिकार अभियान (एनसीपीआरआई), मज़दूर किसान शक्ति संगठन और दूसरे करीब 34 संगठनों ने इसे लेकर विरोध प्रदर्शन किया।
बता दें कि डीपीडीपी कानून बन चुका है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इसके कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के लिए डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण नियम, 2025 का मसौदा तैयार किया है। एक तरफ केंद्र सरकार का कहना है कि डीपीडीपी को बनाने का मकसद लोगों की निजता की रक्षा करना है। वहीं, आरटीआई को लेकर काम करने वालों की मानें तो इसके लिए आरटीआई में संशोधन कर दिया गया है। जिसके बाद सूचना लेना मुश्किल हो जाएगा। आखिर सरकार डीपीडीपी के जरिए आरटीआई को कैसे कमज़ोर कर रही है? कैसे यह बदलाव पत्रकारों के लिए खतरनाक होगा। जानने के लिए देखिए ये रिपोर्ट-
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत, नागरिकों को सरकारी विभागों से जानकारी हासिल करने का अधिकार है। इस अधिनियम का मकसद है कि सरकार की कामकाजी में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़े। साथ ही, भ्रष्टाचार को रोकना और लोकतंत्र को मज़बूत करना भी इसका मकसद है। इस अधिनियम के तहत, कोई भी नागरिक किसी भी सरकारी विभाग से जानकारी ले सकता है।
लेकिन अब केंद्र की मोदी सरकार ने कहीं भी किसी से भी सवाल पूछने वाले खोजी पत्रकारों का मुंह बंद करने के लिए सरकार डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (Data Protection Act) लाई है। अगर आप सरकार के भ्रष्टाचार की नीतियों को उजागर करते हैं कहीं से जानकारी हासिल करते हैं तो आपके ऊपर 500 करोड़ रुपये तक का जुर्माना होगा।
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सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत कुमार (Prashant Kumar, Senior Advocate, Supreme Court) ने कहा कि मोदी सरकार ने RTI को कमजोर कर लोकतंत्र पर हमला किया। अब भ्रष्टाचार उजागर करने पर 500 करोड़ का जुर्माना, व्यक्तिगत सूचना छुपाने का अधिकार सरकार को, और खोजी पत्रकारिता पर पाबंदी। डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (Data Protection Act) के नाम पर जनता के सवाल दबाए जाएंगे। RTI मर जाएगी और भ्रष्टाचारियों को बचाने का कानून बन गया।
यह बात प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस ने कहा कि डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (Data Protection Act) के माध्यम से आरटीआई क़ानून में किये जा रहे संशोधनों से, केंद्र वा राज्य सरकारों से जवाब मांगना हो जायेगा ना मुमकिन, और डेटा प्रकाशित किए जाने पर पैनाल्टी होगी। वक्ताओं ने कहा कि अच्छी तरह से समझ लीजिये RTI Act छिन्ने का मतलब, सभी अधिकार सीधे होंगे प्रभावित। कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम में बदलाव का मक़सद यूं समझ आता है सरकार अपनी बेईमानी और अपनों की बेईमानी को छुपाना चाहती है।
डेटा प्रोटेक्शन एक्ट पर NCPRI एक्टिविस्ट अंजलि भारद्वाज ने कहा कि डेटा संरक्षण क़ानून अगर क़ानूनी रूप में लागू होता है तो मीडिया भी गिरफ़्त में होगा। वक्ताओं ने कहा कि डेटा प्रोटैक्शन एक्ट पूरा ही ख़त्म होना चाहिये। आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस में वक्ताओं द्वारा चिन्ता जताई गई। वक्ताओं ने कहा कि RTI क़ानून में संशोधन वापस लिया जाये।
RTI की हत्या, लोकतंत्र पर प्रहार
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वक्ताओं का कहना है कि अब जनता को सरकार से सवाल पूछने का भी हक नहीं। RTI को बर्बाद कर, मोदी सरकार ने भ्रष्टाचारियों को बचाने का कानून बना दिया।