मध्य प्रदेश में जहरीली कफ सिरप कोल्डरिफ से 14 मासूम बच्चों की मौत के बाद सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए दवा पर बैन लगा दिया। वहीं इस प्राथमिक उपचार करने वाले डॉक्टर को सस्पेंड कर दिया गया है। साथ ही डॉक्टर और दवा निर्माता कंपनी के खिलाफ FIR भी दर्ज कर ली है। वहीं इस बीच पीड़ित परिवारों की आपबीती और केस दर्ज होने से पहले डॉक्टर ने बड़ा बयान दिया है।
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परिजनों की दर्दनाक आपबीती
बता दें की परिजनो की आपबीती सुनने के बाद लोगो की आँखें नम हो गयी हैं । वहीं एक मृतक बच्चे अदनान के दादा साजिद खान ने बताया, ”21 अगस्त को अदनान की तबीयत बिगड़ी. इलाज के लिए डॉक्टर प्रवीन सोनी के पास गए. उन्होंने कोल्ड्रिफ सिरप के साथ अन्य दवाइयां दीं, लेकिन हालत में सुधार नहीं होने की वजह से बच्चे का 4 सितंबर को जिला अस्पताल में इलाज कराया, लेकिन वहां भी आराम नहीं लगा. 7 सितंबर अदनान की मृत्यु हो गई.” उन्होंने मांग की है कि प्रशासन उन सभी बच्चों का तत्काल सर्वे कराए जिन्होंने यह बैन की गई दवा पी है।
सिरप पिलाने के 2-3 दिन बाद यूरिन बंद
वहीं, परासिया में आराधना कांवेंट स्कूल के पीछे निवास करने वाले सलीम के बेटे उसैद की भी किडनी इन्फेक्शन से मौत हो गई. मृतक के दादा यासीन खान ने बताया, बच्चे को बुखार था. हम डॉ. सिद्दीकी के पास लेकर गए. उन्होंने सिरप लिखा था. वो ही सिरप हम दे रहे थे तो उसका फीवर ठीक हो गया था. लेकिन 2-3 दिन बाद यूरिन बंद हो गई. फिर हम उन्हीं डॉक्टर के पास ले गए. डॉक्टर ने जिला अस्पताल जाने की सलाह दी. यासीन अपने बच्चे को जिला अस्पताल ले गए, लेकिन वहां भी सुधार नहीं होने पर नागपुर प्राइवेट अस्पताल ले गए. लेकिन किडनी में कोई सुधार नहीं हुआ. डायलिसिस भी कराया, लेकिन बाद में ब्रेन डेड हो गया.”
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मासूमों की मौत पर बोले डॉ. प्रवीण
वहीं बच्चों की मौत पर डॉ प्रवीण सोनी- 38 साल से प्रैक्टिस कर रहा हूं डॉ. प्रवीण सोनी परासिया क्षेत्र में 38 साल से सेवाएं दे रहे थे और वायरल फीवर के दौरान कई बच्चों का इलाज किया था। एफ़आईआर के 4 चार दिन पहले डॉ … ने एक मीडिया चैनल पर कहा “मैं ये दवाइयां पिछले 10 साल से लिख रहा हूं… फार्मेसी का फॉर्मूलेशन ये सब फार्मेसी डिपार्टमेंट देखता है. डॉक्टर को तो सब रेडिमेट आता है, सील बंद आता है, इसलिए मैंने लिख दिया.”
डॉक्टर ने अपने बचाव में आगे कहा, ”बरसात के मौसम में कीटाणु बहुत तेजी से पनपते हैं. इस दौरान मैंने परिवर्तन देखा कि अचानक बहुत सारे बच्चे सर्दी-जुखाम-बुखार से पीड़ित आए. वायरल फीवर चल रहा था. 104 डिग्री तक बच्चों को बुखार था. हमने उन बच्चों का प्राथमिक उपचार किया. जिस मरीज को अधिक समस्या आ रही है, ऐसे मरीज को हम जिला अस्पताल छिंदवाड़ा या हमारे वरिष्ठ डॉक्टरों के पास रेफर कर देते थे. प्राथमिक उपचार करते हैं. मैं पिछले 38 सालों से शिशु रोग विशेषज्ञ के रूप में पदस्थ हूं सिविल अस्पताल परासिया में. 6 बच्चों का मैंने इलाज किया था. अब अलग-अलग जगह से थे. वो आते थे. मैं दवा देता था लिखकर और भेज देता था.”