Symptom of speech delay: नवजात बच्चों को बहुत देखभाल की जरुरत होती है, जरा सी लापरवाही और अनदेखी मुश्किल में डाल सकती है। बच्चे के मालिश से लेकर फीडिंग तक। इतना ही नहीं बच्चों के साथ कैसे बात और व्यवहार करना है,क्योंकि बच्चे बड़ों को देखकर ही बोलना सीखते है। इसलिए कहा जाता है कि जितना हो सके बच्चों से अच्छी तरह से बात करना चाहिए। ताकि वह अपने माता पिता फैमिली से सही भाषा सीख सके।
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कई बार ऐसा देखा गया है कि बच्चे में गूंगेपन की समस्या होती है लेकिन उनके माता-पिता को शुरुआत में समझ में ही नहीं आता है। अगर आपका बच्चा दो महीने का है और कुछ अजीब सी आवाजें निकाल रहा है और वो कुछ बोल भी नहीं पा रहा है तो यह स्पीच डिले की शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। 18 महीने या इससे बड़े बच्चे अगर मम्मा-पापा बोलने लगते हैं तो लेकिन 2 साल की उम्र तक 25 शब्द भी नहीं बोल पाते हैं।
और तीन साल तक 200 शब्द भी नहीं बोल पाते हैं तो वह स्पीच डिले की परेशानी से गुजर रहे हैं। आप अगर अपने बच्चे को रोने पर फोन पकड़ा देते हैं तो उससे उनकी लैग्वेंज डेवलेपमेंट नहीं हो पाएगी। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आपकी स्पीच और लैंग्वेज में आसपास के एनवायरमेंट महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
डॉक्टर्स के मुताबिक अक्सर जो बच्चा बहरा होता है वह गूंगा भी होता है। अगर कोई बच्चा जन्मजात बहरापन का शिकार है तो हो सकता है वह गूंगा भी हो सकता है। बच्चे को ज्यादा वक्त खाने-पीने के दौरान फोन या टैब देते हैं । ऐसे में बच्चे बात ही नहीं करते हैं जिसके कारण उन्हें स्पीच डिले की परेशानी से गुजरना पड़ता है।