जबलपुर। मध्य प्रदेश के जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह (Madhya Pradesh Tribal Affairs Minister Vijay Shah) के भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी (Colonel Sofia Qureshi) पर दिए गए विवादित बयान का मामला अब और गंभीर मोड़ ले चुका है। इस मामले में दर्ज एफआईआर (FIR) पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंचे विजय शाह को वहां से कड़ी फटकार पड़ी। साथ ही जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) ने भी सुनवाई में कड़ी टिप्पणियां की। और तो और उनके केस में सरकार को खूब झाड़ पड़ी है। हाईकोर्ट ने साथ ही FIR में सुधार करने के आदेश भी दे डाले, जिससे मंत्री विजय शाह (Minister Vijay Shah) की मुश्किलें भी बढ़ती जा रही हैं। इस मामले की अगली सुनवाई अब वेकेशन के बाद संभवतः 16 जून 2025 को होगी।
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दरअसल, यह मामला 12 मई 2025 को खरगोन जिले के महू का है। यहां आयोजित एक कार्यक्रम में मंत्री विजय शाह (Minister Vijay Shah) ने कर्नल सोफिया कुरैशी (Colonel Sofia Qureshi) के संदर्भ में आपत्तिजनक टिप्पणी की। उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ (Operation Sindoor) की ब्रीफिंग देने वाली कर्नल सोफिया का नाम लिए बिना कहा था कि जिन लोगों ने हमारी बहनों का सिंदूर मिटा दिया था, हमने उनकी बहन को भेजकर उनकी ऐसी-तैसी करवाई। यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद कर्नल कुरैशी के परिवार, सेना के अधिकारियों, विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई. लोग भी खूब उन्हें सुना रहे हैं।
जबलपुर हाईकोर्ट ने क्या दिया था आदेश?
मामले में जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) के न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन और न्यायमूर्ति अनुराधा शुक्ला की खंडपीठ ने इस बयान का स्वतः संज्ञान लिया। कोर्ट ने इसे ‘गटर की भाषा’ करार देते हुए कहा कि यह न केवल एक महिला सैन्य अधिकारी का अपमान है, बल्कि भारतीय सेना की गरिमा, राष्ट्रीय एकता और सामाजिक सद्भाव के लिए खतरा है. कोर्ट ने 14 मई को डीजीपी (DGP) को 4 घंटे के भीतर BNS की धारा 152 (देश की संप्रभुता को खतरे में डालना), 196(1)(b) (समुदायों में शत्रुता को बढ़ावा देना) और 197(1)(c) (धार्मिक आधार पर सौहार्द बिगाड़ना) के तहत FIR दर्ज करने का आदेश दिया।हाईकोर्ट के आदेश के बाद 14 मई की रात इंदौर के महू तहसील के मानपुर थाने में विजय शाह (Vijay Shah) के खिलाफ FIR दर्ज की गई।
हालांकि, आज जब इस FIR को कोर्ट के सामने रखा गया तो खंडपीठ ने इसकी ड्राफ्टिंग पर गंभीर आपत्ति जताई। कोर्ट ने कहा कि FIR इस तरीके से ड्राफ्ट की गई है, जिसमें अभियुक्त की करतूतों का साफ जिक्र ही नहीं है। यह इतनी कमजोर है कि अगर इसे चुनौती दी गई तो यह आसानी से रद्द हो सकती है। कोर्ट ने इसे अदालत के विश्वास पर खरा न उतरने वाला करार देते हुए सरकार और पुलिस प्रशासन को कड़ी फटकार लगाई।
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न्यायमूर्ति श्रीधरन ने कहा कि ऐसे गंभीर मामले में FIR को इस तरह लापरवाही से तैयार करना न केवल कानूनी प्रक्रिया का मखौल है, बल्कि यह देश की सेना और एक महिला अधिकारी के सम्मान के साथ खिलवाड़ है। कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए कि FIR में तत्काल सुधार किया जाए और इसमें बयान के पूरे तथ्यों और संदर्भ को स्पष्ट रूप से शामिल किया जाए। साथ ही, कोर्ट ने यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि जांच और FIR की प्रक्रिया बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप या दबाव के आगे बढ़े।
विजय शाह (Vijay Shah) ने हाईकोर्ट के FIR दर्ज करने के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का रुख किया था। उन्होंने अपनी याचिका में दावा किया कि उनके बयान को गलत समझा गया और उन्होंने पहले ही माफी मांग ली है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भी आज इस मामले में तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई (Chief Justice BR Gavai) ने कहा कि आप एक मंत्री हैं, संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को सोच-समझकर बोलना चाहिए। आप पहले हाईकोर्ट में अपील करें। कोर्ट ने शाह के वकील को निर्देश दिया कि वे हाईकोर्ट में इस मामले को उठाएं और सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) अगली सुनवाई शुक्रवार 16 मई को करेगा।