नई दिल्ली। जातिगत जनगणना को लेकर सियासत शुरू हो गयी है। श्रेय लेने के साथ ही एक दूसरे पर हमले भी तेज हो गए हैं। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पीएम मोदी से कई सवाल पूछे हैं। साथ ही कहा कि, पीएम मोदी द्वारा जातिगत जनगणना के मुद्दे पर एकदम अचानक और हताशा भरे यू-टर्न के पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। इसको लेकर उन्होंने उदाहरण भी दिए हैं।
पढ़ें :- Goa Nightclub Fire: नाइटक्लब के मालिक के खिलाफ दर्ज हुई FIR, जांच में पाई गईं कई कमियां
जयराम रमेश ने कहा, पिछले साल, 28 अप्रैल 2024 को एक टीवी इंटरव्यू में उन्होंने जातिगत जनगणना की मांग करने वालों को “अर्बन नक्सल” करार दिया था। मोदी सरकार ने 20 जुलाई 2021 को संसद में कहा था कि “सरकार ने नीतिगत निर्णय लिया है कि जनगणना में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के अलावा अन्य किसी जाति की गणना नहीं की जाएगी।
पीएम मोदी द्वारा जातिगत जनगणना के मुद्दे पर एकदम अचानक और हताशा भरे यू-टर्न के पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। यहां सिर्फ तीन उदाहरण देखिए –
1. पिछले साल, 28 अप्रैल 2024 को एक टीवी इंटरव्यू में उन्होंने जातिगत जनगणना की मांग करने वालों को "अर्बन नक्सल" करार दिया था।
2. मोदी सरकार ने… pic.twitter.com/F53sFfq4qs
पढ़ें :- Indigo Crisis : ए चौकीदार…बोला के जिम्मेदार? नेहा सिंह राठौर ने साधा निशाना, बोलीं- सरकार पर भरोसा रखिए वो आपको सही जगह पहुंचा कर ही दम लेगी…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) May 4, 2025
उन्होंने आगे कहा, भारत के सर्वोच्च न्यायालय में 21 सितंबर 2021 को दाखिल हलफनामे में मोदी सरकार ने साफ तौर पर कहा था – “जनगणना [2021] के दायरे से किसी भी अन्य जाति की जानकारी को बाहर रखना केंद्र सरकार का एक सचेत नीतिगत निर्णय है।” दरअसल, मोदी सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय से ओबीसी के लिए जाति जनगणना का आदेश न देने का स्पष्ट आग्रह किया था – “ऐसी स्थिति में, इस माननीय न्यायालय द्वारा जनगणना विभाग को आगामी जनगणना 2021 में ग्रामीण भारत के पिछड़े वर्ग समुदायों (BCCs) से संबंधित सामाजिक-आर्थिक आंकड़ों को शामिल करने के लिए कोई भी निर्देश देना ,जैसा कि प्रार्थना की गई है, अधिनियम की धारा 8 के तहत तैयार किए गए नीतिगत निर्णय में हस्तक्षेप करने के समान होगा।
जयराम रमेश ने आगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तीन सवाल भी पूछे हैं। उन्होंने कहा कि, क्या वे ईमानदारी से स्वीकार करेंगे कि उनकी सरकार ने पिछले ग्यारह वर्षों में जातिगत जनगणना पर अपनी नीति में आधिकारिक रूप से बदलाव किया है? क्या वे देश की संसद और देशवासियों को बताएंगे कि सरकार की नीति में बदलाव के पीछे क्या कारण हैं? क्या वे जातिगत जनगणना के लिए समय सीमा तय करेंगे?