नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (Jammu and Kashmir Chief Minister Omar Abdullah) ने कहा कि बीजेपी (BJP) के साथ सरकार बनाने के बजाय इस्तीफा देना पसंद करूंगा। उन्होंने कहा कि वह राज्य का दर्जा दिलाने के लिए इनके साथ सरकार नहीं बनाएंगे। दक्षिण कश्मीर में एक सार्वजनिक रैली में अपने पार्टी विधायकों को संबोधित करते हुए यह बात उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने कही। उन्होंने कहा कि यह संभव है कि अगर हमने बीजेपी (BJP) को सरकार में शामिल किया होता, तो हमें तुरंत राज्य का दर्जा मिल जाता।
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उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने कहा पार्टी विधायकों से सवाल पूछते हुए कहा कि क्या आप इसके लिए समझौता करने को तैयार हैं? क्योंकि मैं नहीं हूं। अगर आप तैयार हैं, तो मुझे जरूर बताएं। अगर राज्य का दर्जा पाने के लिए बीजेपी (BJP)को सरकार में शामिल करना जरूरी है, तो कृपया मेरा इस्तीफा स्वीकार करें। उन्होंने कहा कि दूसरे विधायक को मुख्यमंत्री बनाएं और बीजेपी (BJP) के साथ सरकार बनाएं। उन्होंने कहा कि मैं ऐसी सरकार बनाने को तैयार नहीं हूं। अगर मुझे जम्मू-कश्मीर को राज्य के रूप में देखने के लिए इंतजार करना पड़े, तो मैं इंतजार करूंगा।
बीजेपी बंद कमरे में कुछ और बाहर कुछ और कहती है
उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने बताया कि पार्टी की चुनावी जीत में उनके पास दो मौके थे। मैंने कभी परिस्थितियों को बहाना नहीं बनाया। फिर भी मैं जानता हूं कि काम करना कितना मुश्किल है। चुनाव होने के बाद मेरे सामने दो विकल्प थे। एक मौका वह था जो पहले अपनाया गया था, यानी बीजेपी (BJP) के साथ मिलकर सरकार बनाना, जैसे कि 2015 में मुफ्ती मोहम्मद सईद साहब ने किया था उसके बाद फिर 2016 में महबूबा मुफ्ती ने। उन्होंने बताया कि बीजेपी को सरकार से बाहर रख सकते थे, लेकिन बहाना बनाया गया कि जम्मू को प्रतिनिधित्व देने के लिए बीजेपी को सरकार में शामिल किया गया। हमने बीजेपी को सरकार में शामिल किए बिना जम्मू को प्रतिनिधित्व दिया।
उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने बताया कि वे सार्वजनिक रूप से कुछ और बंद कमरों में कुछ और कहते हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी (BJP) कैमरों के सामने अधिकारियों की तारीफ करती है और बंद कमरों में उनकी आलोचना करने से नहीं बाज आती। यह अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग बात करना काम नहीं करेगा। जो बात आप मेरे कमरे में मुझसे कहते हैं, वैसी ही बात बाहर भी कहें। मीडिया के सामने अधिकारियों के बारे में एक बात कहना और बंद कमरों में कुछ और कहना, यह जनता को धोखा देने जैसा है।