नई दिल्ली। केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (KUWJ) के तत्वावधान में सैकड़ों पत्रकारों ने मंगलवार को राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान (Governor Arif Mohammad Khan) के विरोध में राजभवन (Raj Bhavan) तक मार्च किया, जिन्होंने दो पत्रकारों को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस से बाहर कर दिया था। शहर के कनककुन्नू से शुरू हुआ और राजभवन (Raj Bhavan) के मुख्य द्वार के आगे समाप्त हुए विरोध मार्च का उद्घाटन विपक्ष के नेता और वरिष्ठ कांग्रेस नेता वी डी सतीसन ने किया था। राज्य के पूर्व वित्त मंत्री और वामपंथी नेता टी एम थॉमस इसाक, सीटू नेता अनाथालवट्टम आनंदन, वाम नेता और सांसद जॉन ब्रिटास ने भी विरोध मार्च में भाग लिया।
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केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (KUWJ) के तत्वावधान में सैकड़ों पत्रकारों ने मंगलवार को राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के विरोध में राजभवन तक मार्च किया, जिन्होंने दो पत्रकारों को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस से बाहर कर दिया था। pic.twitter.com/uKFgmSTkB6— santosh singh (@SantoshGaharwar) November 8, 2022
राज्यपाल ने कैराली न्यूज और मीडियावन के पत्रकारों को निकाल दिया था
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केरल के राज्यपाल ने सोमवार को कैराली न्यूज (Kairali News) और मीडियावन टेलीविजन चैनलों (Mediaone Television Channels) का प्रतिनिधित्व करने वाले पत्रकारों को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस से बाहर निकलने का आदेश दिया था और कहा था कि वह उनसे बात नहीं करेंगे। केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (KUWJ) ने कहा कि हम केरल राजभवन की ओर से पत्रकारों की स्वतंत्रता और स्वतंत्र कामकाज में हस्तक्षेप करने और पत्रकारिता की पहुंच से चुनिंदा इनकार करने के सभी प्रयासों की निंदा करते हैं। राज्यपाल को संबोधित एक पत्र में संगठन ने राज्यपाल से कुछ मीडिया घरानों के खिलाफ पूर्वाग्रहों पर पुनर्विचार करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि पेशे की स्वतंत्रता का पालन करने का अधिकार सभी पत्रकारों को मिले।
पत्र में कहा गया है कि केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट (Kerala Union of Working Journalists) राजभवन में कुछ मीडिया घरानों के खिलाफ असहिष्णुता को लेकर काफी चिंतित हैं। हम एर्नाकुलम गेस्ट हाउस और दिल्ली केरल हाउस में हुई घटनाओं की कड़ी निंदा करते हैं, जहां राज्यपाल ने पत्रकारों को बेदखल कर दिया। केयूडब्ल्यूजे ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अत्यधिक सम्मानजनक संवैधानिक पद पर आसीन होने के बावजूद राज्यपाल ने मीडिया के प्रति घोर असहिष्णुता दिखाई और बार-बार कैराली और मीडिया वन चैनलों के पत्रकारों का अपमान किया, जो केवल अपने आधिकारिक कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे थे। पत्रकारों को संबोधित करते हुए सतीसन ने कहा कि राज्यपाल का कदम अलोकतांत्रिक है और लोकतांत्रिक देश में इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।
सत्तारूढ़ माकपा और मुख्य विपक्षी कांग्रेस ने उनके व्यवहार को फासीवादी करार दिया। केयूडब्ल्यूजे (KUWJ) ने मांग की कि वह अपनी गलती को सुधारें और अपनी अलोकतांत्रिक कार्रवाई के लिए खेद व्यक्त करें। कई मुद्दों पर मार्क्सवादी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार के साथ टकराव वाले आरिफ खान ने दो पत्रकारों से बाहर निकलने के लिए कहा था। उन्होंने कैराली पर सियासी पार्टी से जुड़े होने और दूसरे चैनल पर उनके खिलाफ प्रचार करने का आरोप लगाया। कैराली न्यूज एक सीपीआई (एम) प्रबंधित चैनल है और मीडियावन एक मुस्लिम संगठन द्वारा समर्थित है। केयूडब्ल्यूजे (KUWJ) ने त्रिशूर और कोझीकोड में भी विरोध प्रदर्शन किया।