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दुनिया 92 देशों में होता है खतना , जानें इस परंपरा के पीछे क्या है कारण?

By संतोष सिंह 
Updated Date

Female Genital Mutilation : दुनिया में परंपरा के नाम पर कई ऐसी मान्यताओं का पालन होता है जो आज के वक्त में कुप्रथा बन चुकी हैं। कुछ इतनी सरल होती है। इसलिए उसको मानने में लोगों को ज्यादा आपत्ति नहीं होती, लेकिन कुछ इतनी दर्दनाक होती हैं कि उसके बारे में जब लोग सुनते हैं तो उनकी रूह कांप जाती है। ऐसी ही एक कुप्रथा महिलाओं से जुड़ी है। आपने इस्लाम में पुरुषों का खतना या सुन्नतकरने के रिवाज के बारे में तो सुना ही होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि पुरुषों की ही तरह महिलाओं (Genital Mutilation of Women) का भी खतना इस्लाम (Khatna of Women) और ईसाई धर्म (Christianity) के कुछ समुदायों में होता है।

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महिलाओं के जननांगों (Genitals) को काटने की इस परंपरा को फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन (female genital mutilation) या एफजीएम (FGM)  कहा जाता है। आम भाषा में इसे महिलाओं का खतना (Khatna) कहते हैं। मान्यता के नाम पर की जाने वाली इस प्रक्रिया में महिला के प्राइवेट पार्ट के बाहरी हिस्से, को ब्लेड या किसी धारदार औजार से काट देते हैं। सबसे ज्यादा दर्दनाक और हैरानी की बात ये है कि इस पूरे प्रोसेस को बिना बेहोश किए ही किया जाता है।

92 देशों में होता है खतना

डब्लूएचओ (WHO) के अनुसार जो भी प्रक्रिया बिना किसी चिकित्सकीय कारणों के महिलाओं के गप्तांगों को नुकसान पहुंचाए और उसमें बदलाव करें, उसे एफजीएम (FGM) की ही श्रेणी में डाला जाता है। बहुत से लोगों का दावा है कि इस प्रथा से सेहत को लाभ होता है, लेकिन ये पूरी तरह से गलत और बेबुनियाद बात है। डाउन टू अर्थ वेबसाइट (Down to Earth Website) की रिपोर्ट के अनुसार ये कुप्रथा 92 से ज्यादा देशों में जारी है। इन देशों में 51 में इस प्रथा को कानूनी तौर पर बैन कर दिया गया है जिसमें भारत भी शामिल है।  बीबीसी की रिपोर्ट (BBC Report) के अनुसार मिस्र में महिलाओं के खतने से जुड़े सबसे ज्यादा मामले सामने आते हैं। माना जाता है कि ये प्रथा अफ्रीकी देशों में प्रचलित है पर एशिया, मध्य पूर्व, लैटिन अमेरिका, यूरोप, यहां तक कि ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में भी प्रचलन में है। भारत में यह प्रथा बोहरा समुदाय और केरल के एक सुन्नी मुस्लिम समुदाय (Sunni Muslim community) में मुख्य रूप से होती है।

जानें क्या है इस कुप्रथा का कारण

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अब सवाल ये उठता है कि अगर ये प्रथा इतनी दर्दनाक और भयावह है तो इसका पालन क्यों किया जाता है। दरअसल, ये अंधविश्वास का नतीजा है, जो सालों पुराना है। शिशु अवस्था से 15 साल तक की बच्चियों का खतना सिर्फ इसलिए होता है जिससे उनकी यौन इच्छाएं पूरी तरह दब जाएं और शादी से पहले वो ऐसी किसी भी भावना को ना महसूस करें जिससे वो ‘अशुद्ध’ हो जाएं। यही वजह है कि प्राइवेट पार्ट के बाहरी हिस्सों में शामिल क्लिटोरिस को भी काट दिया जाता है जो महिलाओं सबसे ज्यादा उत्तेजित करने वाला अंग माना जाता है।

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