Mankameshwar Temple :लखनऊ में गोमती नदी के तट पर एक बहुत ही सुंदर मंदिर स्थित है, जिसका नाम सुनते है आप भी अगर लखनऊ के नहीं भी होंगे तो भी जाने के लिए योजना बनाएँगे। जी हाँ हम बात कर रहे हैं मनकामेश्वर मंदिर की आज हम आपको इस आर्टिकल में मंदिर के बारे में कई ऐसे चीज़ बताएँगे जो शायद आप न जानते हो….
पढ़ें :- Indigo Crisis : ए चौकीदार…बोला के जिम्मेदार? नेहा सिंह राठौर ने साधा निशाना, बोलीं- सरकार पर भरोसा रखिए वो आपको सही जगह पहुंचा कर ही दम लेगी…
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ये मंदिर रामायण काल से स्थित है जब भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण माँ सीता को वनवास छोड़कर आए फिर इसी मंदिर में रुककर भगवान महादेव की आराधना किए थे। माता सीता को वनवास छोडने के बाद लक्ष्मण के मन में अनेकों प्रकार के प्रश्न उठ रहे थे और मन अशांत और व्याकुल हो रहा था।
पढ़ें :- Mangal Rashi Parivartan 2025 : ज्ञान गुण के सागर मंगल देव का राशि परिवर्तन आज , इन राशियों की किस्मत चमकेगी
जिसके कारण उन्होंने इस मंदिर में शिवलिंग के सामने बैठकर भगवान शिव का ध्यान लगाया और मन को शांत करके माता सीता के सकुशल अयोध्या लौट आने की मनोकामना की थी। मान्यता है कि लक्ष्मण के द्वारा भगवान शिव से की गई। उस प्रार्थना के बाद उनके मन की व्याकुलता कुछ कम हुई और मन को शांति मिली और उसी के बाद कालांतर में इस मंदिर को मनकामेश्वर मंदिर का नाम दिया गया।
मनकामेश्वर मंदिर का नाम सुनकर ही आप लोग मतलब समझ गए होंगे की मनोकामना पूर्ण करने वाला मंदिर लेकिन फिर भी हम आपको थोड़ा डिटेल्स में बताएँगे । मनकामेश्वर” नाम दो हिंदी शब्दों से लिया गया है: “मन” जिसका अर्थ है “मन” या “इच्छा”, और “कामेश्वर” , भगवान शिव के लिए एक उपाधि जिसका अर्थ है “इच्छाओं की पूर्ति करने वाला।” ऐसा माना जाता है कि यहाँ शिवलिंग की पूजा करने से मन शांत होता है और भक्तों की हार्दिक इच्छाएँ पूरी होती हैं। इस प्रकार यह मंदिर शांति और आशीर्वाद चाहने वालों के लिए एक केंद्र बिंदु बन गया है।
मनकामेश्वर महादेव के नाम से ही इस बात का एहसास हो जाता है कि यहां मन मांगी मुराद कभी अधूरी नहीं रहती। जैसे ही भक्त इस मंदिर में प्रवेश करते हैं उन्हें शांति की अनुभूति होती है। लोग यहां आकर मनचाहे विवाह और संतानप्राप्ति की मनोकामना करते हैं और उसे पूरा होने पर बाबा का बेलपत्र, गंगाजल और दूध आदि से श्रृंगार करते हैं, हालांकि बाबा एक लोटे जल से भी प्रसन्न हो जाते हैं।
पढ़ें :- इंडिगो पर सरकार का दबाव इसलिए नहीं है क्योंकि इनसे इन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड लिए थे...अखिलेश यादव ने मोदी सरकार को घेरा
यंहा पर बाबा मनकामेश्वर को चांदी के छत्र, नागों का जोड़ा,त्रिशूल आदि चढ़ाने की परंपरा है चांदी के दान से मनकामेश्वर महादेव शीघ्र प्रसन्न होते हैं ऐसा भक्तो का मत है। हालांकि बाबा एक लोटे जल से भी प्रसन्न हो जाते हैं।
Reported by : Akansha Upadhyay