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‘इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़ हिन्दी साहित्य में बने गोल्ड मेडलिस्ट, जानें देश के सबसे महंगे कवि कुमार विश्वास के संघर्षों की कहानी’

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। देश के सबसे महंगे कवि डॉक्टर कुमार विश्वास (Dr. Kumar Vishwas) का मूल नाम विश्वास कुमार शर्मा है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि कुमार विश्वास (Kumar Vishwas) ने हिंदी को विश्वस्तर पर एक अलग पहचान दिलवाई है । मंच संचालन, गायन, काव्य वाचन, पाठन, लेखन आदि सब विधाओं में निपुण कुमार विश्वास (Kumar Vishwas) हिंदी के प्राध्यापक भी रह चुके हैं।

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स्कूल के दिनों में कुमार विश्वास का पूरा नाम विश्वास कुमार शर्मा रहा है, लेकिन कुमार के मुताबिक उनकी बहन ने उन्हें नाम बदलने की सलाह दी। जिसके बाद वे कुमार विश्वास हो गए।  कुमार विश्वास (Kumar Vishwas) के लिए सफलता के इस मुकाम पर आना आसान नहीं रहा। उन्हें कई मुश्किल से गुजरना पड़ा। कुमार विश्वास ने साल 1994 में राजस्थान के एक कॉलेज से कुमार विश्वास(Kumar Vishwas)  लेक्चरर के रूप में काम करना शुरू किया। कुमार विश्वास (Kumar Vishwas) ने एक इंटरव्यू में बताया था कि आर्थिक तंगी की वजह से शुरुआत में जब वे कवि सम्मेलन से देर रात लौटते तो पैसे बचाने के लिए ट्रक में लिफ्ट लेकर घर पहुंचते थे। कुमार विश्वास (Kumar Vishwas) एक शो में करीब 15-20 मिनट के एक इवेंट के लिए अब करीब 10 लाख रुपये मोटी फीस लेते हैं। कुमार विश्वास (Kumar Vishwas) का महीने में हर दिन कार्यक्रम बुक रहता है जिसके कारण उन्हें भारत का सबसे अमीर कवि माना गया है। कवि होने के साथ साथ हिन्दी फ़िल्म इंडस्ट्री के गीतकार भी हैं। उनके द्वारा लिखे गीत अगले कुछ दिनों में फ़िल्मों में दिखाई पड़ेगी। उन्होंने आदित्य दत्त की फ़िल्म ‘चाय-गरम’ में अभिनय भी किया है।

प्रारम्भिक जीवन और शिक्षा

कुमार विश्वास का जन्म 10 फरवरी (वसन्त पंचमी) के दिन 1970 को उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ियाबाद के पिलखुआ में एक मध्यवर्गी परिवार में हुआ था। उनके पिता डॉ. चन्द्रपाल शर्मा, आर एस एस डिग्री कॉलेज (चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ से सम्बद्ध), पिलखुआ में प्रवक्ता रहे। उनकी माता रमा शर्मा गृहिणी हैं। वे चार भाईयों और एक बहन में सबसे छोटे हैं। कुमार विश्वास की पत्नी का नाम मंजू शर्मा है। जिनसे उनकी दो बेटियां हैं जिनका नाम कुहू और अग्रता है। कुमार विश्वास की पत्नी मंजू शर्मा हिंदी साहित्य की प्रोफेसर हैं। कुमार विश्वास ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा लाला गंगा सहाय विद्यालय, पिलखुआ से प्राप्त की। राजपूताना रेजिमेंट इंटर कॉलेज से बारहवीं उत्तीर्ण होने के बाद उनके पिता उन्हें इंजीनियर (अभियंता) बनाना चाहते थे। डॉ. कुमार विश्वास का इंजीनियरिंग की पढ़ाई में नहीं लगा और उन्होंने बीच में ही वह पढ़ाई छोड़ दी। साहित्य के क्षेत्र में आगे बढ़ने के ख्याल से उन्होंने स्नातक और फिर हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर किया, जिसमें उन्होंने स्वर्ण-पदक प्राप्त किया। तत्पश्चात उन्होंने “कौरवी लोकगीतों में लोकचेतना” विषय पर पीएचडी प्राप्त किया। उनके इस शोध-कार्य को 2001 में पुरस्कृत भी किया गया।

डॉक्टर कुमार विश्वास का राजनीतिक जीवन

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डॉ. कुमार विश्वास (Dr. Kumar Vishwas)  ने 2014 के लोकसभा चुनाव में अमेठी के आप के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा, लेकिन राहुल गांधी से चुनाव हार गए।

डॉ. विश्वास आम आदमी पार्टी के सदस्य बने। आप ने 4 दिसंबर 2013 को दिल्ली विधान सभा के लिए पहली बार चुनाव लड़ा।

डॉ. कुमार विश्वास (Dr. Kumar Vishwas)  ने अन्ना हजारे की अगुवाई में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का समर्थन किया। इसके अलावा, उन्होंने जंतर-मंतर के विरोध में सक्रिय रूप से भाग लिया।

डॉक्टर कुमार विश्वास की उपलब्धिया‍ँ

1994 में डॉक्टर कुंवर बाईचैन काव्य सम्मान आवाम पुरुस्कार समिति ने उन्हे काव्य कुमार पुरस्कार प्रदान किया। 2004 में उन्हें उन्नाव में साहित्य भारती द्वारा डॉ सुमन आलंकर्ण पुरस्कार मिला। 2006 में उन्हें हिंदी-उर्दू पुरस्कार समिति द्वारा साहित्य श्री पुरस्कार दिया गया था। 2010 में बंदायू में डॉ उर्मिलेश जन चेतना समिति द्वारा डॉ उर्मिलेश “गीत श्री” सम्मान दिया गया था।

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डॉ. विश्वास अब तक हज़ारों कवि सम्मेलनों और मुशायरों में कविता-पाठ और संचालन कर चुके हैं। देश के सैकड़ों प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थाओं इनमें आई आई टी खड़गपुर, आई आई टी बी एच यू, आई एस एम धनबाद, आई आई टी रूड़की, आई आई टी भुवनेश्वर, आई आई एम लखनऊ, एन आई टी जलंधर, एन आई टी त्रिचि, इत्यादि कई संस्थान शामिल हैं। कई कॉर्पोरेट कंपनियों में भी डॉ. विश्वास को अक्सर कविता-पाठ के लिए बुलाया जाता है।

भारत के सैकड़ों छोटे-बड़े शहरों में कविता पाठ करने के अलावा उन्होंने कई अन्य देशों में भी अपनी काव्य-प्रतिभा का प्रदर्शन किया है। इनमें अमेरिका, दुबई, सिंगापुर मस्कट, अबू धाबी और नेपाल जैसे देश शामिल हैं।कुमार ने बेंचमार्क पब्लिकेशन के तहत कक्षा 1 से कक्षा 8 तक के लिए अमरत्व नामक पाठ्यक्रम पुस्तक लिखी।

काव्य संग्रह ‘कोई दीवाना कहता है’ युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय रहा

कुमार विश्वास को श्रृंगार रस का कवि माना जाता है। उनके द्वारा लिखा काव्य संग्रह ‘कोई दीवाना कहता है’ युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय रहा। उन्होंने कई सुंदर कविताएं लिखी हैं जिनमे हिंदी कविता के नवरस मिलते हैं। उनके लिखे गीत कुछ फिल्मों आदि में भी उपयोग किये गए हैं। उन्होंने अपने से पूर्व कवियों को श्रद्धांजलि देते हुए ‘तर्पण’ नामक टीवी कार्यक्रम भी बनाया, जिसमे स्वयं विश्वास ने पुराने कवियों की कविताओं को अपना स्वर दिया है।

विभिन्न पत्रिकाओं में नियमित रूप से छपने के अलावा कुमार विश्वास की दो पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं- ‘इक पगली लड़की के बिन’ (1996) और ‘कोई दीवाना कहता है’ (2007 और 2010 दो संस्करण में)। विख्यात लेखक स्वर्गीय धर्मवीर भारती ने डॉ. विश्वास को इस पीढ़ी का सबसे ज़्यादा सम्भावनाओं वाला कवि कहा है। प्रथम श्रेणी के हिन्दी गीतकार ‘नीरज’ ने उन्हें ‘निशा-नियामक’ की संज्ञा दी है। मशहूर हास्य कवि डॉ. सुरेन्द्र शर्मा ने उन्हें इस पीढ़ी का एकमात्र आई एस ओ:2006 कवि कहा है।

कुमार विश्वास ने 2018 हिंदी फिल्म परमाणु: द स्टोरी ऑफ पोखरण के लिए एक गीत डी दे जगह लिखा था। विश्वास आज तक टेलीविजन चैनल पर केवी सम्मेलन नामक एक कॉमेडी शो होस्ट करता है जिसका पहली बार प्रीमियर 29 सितंबर 2018 को हुआ था।उन्होंने अभिषेक बच्चन, यामी गौतम और निम्रत कौर अभिनीत फिल्म दसवीं के लिए संवाद लिखे। फिल्म 7 अप्रैल 2022 को ऑनलाइन रिलीज हुई थी और उसे समीक्षकों से मिली-जुली समीक्षा और दर्शकों का भरपूर प्यार मिला।

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