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महाराजा भूपिंदर सिहं अपनी 365 रानियों को लालटेन से करते थे संतुष्ट, लीलाभवन में नग्न अवस्था में मिलता था प्रवेश

By आराधना शर्मा 
Updated Date

नई दिल्ली: जब भारत देश आजाद नहीं हुआ था तब भारत में 720 रियासते थी।  सभी रियासतों पर किसी न किसी राजा का हक हुआ करता था। उन रियासतों की अपनी एक अलग कहानी और पहचान हुआ करती थी। लेकिन जब भारत आजाद हुआ तो सभी रियासतें एक हो गई। इनमें से एक महाराजा ऐसे भी हुए जिनके 365 रानियां थी और वे अपनी रंगीन मिजाजी के लिये काफी प्रसिद्ध थे। ये महाराजा थे पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के दादा महाराजा भूपिंदर सिहं।

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365 रानियों के साथ रहते थे महाराजा

पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिहं की रईसियत का अंदाजा आप इस तरह लगा सकते हैं कि वे 17 करोड़ रुपये के डिनर सेट में खाना खाते थे। इतना ही नहीं वह करीब 2,930 डायमंड्स से जड़ा हुआ हार पहना करते थे, जिसकी कीमत आज 25 मिलियन डॉलर (166 करोड़) है। महाराजा भूपिंदर सिहं का जन्म 12 अक्टूबर 1891 को पटियाला के मोती बाग में हुआ था।

उनके पिता का नाम महाराजा राजेंद्र सिंह था। साल 1900 में पिता की मौत के बाद बहुत छोटी सी उम्र में ही भूपिंदर सिहं ने राजपाठ संभाल लिया था। आपको बता दें कि महाराजा भूपिंदर सिंह बचपन से ही विलासी प्रवृत्ति के थे। उनकी रंगीन मिजाजी का जिक्र महाराजा के दीवान जरमनी दास की किताब ‘महाराजा’ में हुआ है.

10 एकड़ क्षेत्र में बना है महल

महाराजा भूपिंदर सिहं का किला पटियाला शहर के बीचोबीच 10 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। इस किले की खासियत यह है कि इसके परिसर में मुख्य महल, गेस्ट हाउस और दरबार हॉल बना हुआ है। महाराजा का महल बड़ी संख्या में भीत्ति चित्रों से सजाया गया है, जिन्हे महाराजा नरेंद्र सिहं की देखरेख में बनवाया गया था।  महाराजा के मुबारक किला के अंदर 16 कांच के सजाए गए चैंबर हैं।

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भूपिंदर सिहं के मुख्य महल में एक हॉल, महिला चेंबर और लस्सी खाना भी है। इस महल में दो आंगन है और यहां पर फव्वारे और टैंक आंगन की शोभा बढ़ाते हैं। इस महल के रसोई खाने में एक सुरंग भी है जहां युद्ध के समय महाराजा महल इसी से आया-जाया करते थे। तब यहां पर 35 सौ लोगों को खाना बना करता था।

नग्न अवस्था में मिलता था प्रवेश

दीवान जरमनी दास की किताब ‘महाराजा’ में महाराजा भूपिंदर सिहं की रंगीन मिजाजी का भी जिक्र किया गया है। महाराजा ने अपनी रईसी का प्रदर्शन करने और अय्याशी को दिखाने के लिये एक नया अड्डा बनवाया था जिसका नाम था ‘लीलाभवन’ जो पटना में स्थित है। इस महल में केवल लोग निर्वस्त्र होकर ही प्रवेश कर पाते थे। यहां की दीवारों पर कामसूत्र और उत्तेजक चित्रकारी बनी थी।  यहां एक स्वीमिंग पूल भी था जहां पर एक बार में 150 मर्द और महिलाएं स्नान कर सकती थी. यहां पर राजा-महाराजा अपनी रानियों की एक-दूसरे से अदलाबदली करते थे।

365 रानियों को रखते थे संतुष्ट

जरमनी दास ने अपनी किताब में लिखा है कि महाराजा भूपिंदर सिहं ने साल 1900 से 1938 तक पटियाला की पुरानी रियासत पर राज किया। राज करते वक्त महाराजा के 365 रानियां थी। इतिहासकार मानते हैं कि महाराजा के 10 अधिकृत रानियों समेत कुल 365 रानियां थी। इन रानियों के लिये पटियाला में भव्य महल बनवाए गए थे। राजा 365 रानियों को कैसे संतुष्ट करते होंगे ये सवाल अक्सर जहन में उठता है तो इसका जवाब यह है कि महाराजा पटियाला के महल में प्रतिदिन 365 लालटेन जलवाते थे।

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सभी लालटेनों पर उनकी 365 रानियों के नाम लिखे होते थे। जो लालटेन सुबह पहले बुझती थी महाराजा उस लालटेन पर लिखे रानी के नाम को पढ़ते थे और फिर उसी के साथ रात गुजारते थे। महाराजा भूपिंदर सिंह की 10 अधिकृत रानियों से 83 बच्चे पैदा हुए लेकिन 53 ही जिंदा रह पाए।

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