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Manipur Violence : सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जजों की बनाई कमेटी, IPS अधिकारी करेगा CBI जांच की मॉनिटरिंग

By संतोष सिंह 
Updated Date

Manipur Violence : मणिपुर हिंसा (Manipur Violence) को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुई। मणिपुर के डीजीपी राजीव सिंह (Manipur DGP Rajeev Singh) सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंचे। उन्होंने राज्य में हिंसा के दौरान दर्ज की गईं जीरो एफआईआर, रेगुलर एफआईआर, बयान और गिरफ्तारियों का विवरण दिया। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  ने हाईकोर्ट के तीन पूर्व न्यायाधीशों की कमेटी बनाई है। जिसमें जस्टिस गीता मित्तल, जस्टिस शालिनी जोशी और जस्टिस आशा मेनन शामिल हैं। जस्टिस गीता मित्तल कमेटी की अध्यक्षता करेंगी। ये समिति जांच, राहत, मुआवजा, पुनर्वास आदि मुद्दे पर जांच करेगी। कोर्ट ने कहा कि ऐसे प्रयास होने चाहिए, जिससे लोगों में विश्वास पैदा हो सके।

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वहीं, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  ने कहा कि सीबीआई जांच (CBI Investigation)की निगरानी एक आईपीएस अधिकारी करेगा। यह आदेश चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) , जस्टिस जेबी पारदीवाला (Justice JB Pardiwala) और जस्टिस मनोज मिश्रा (Justice Manoj Mishra) की बेंच ने दिया है।

एक आर्टिफिशियल सिचुएशन बनाई गई : अटॉर्नी जनरल

इससे पहले अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी (Attorney General R Venkataramani) ने कहा कि मणिपुर में एक आर्टिफिशियल सिचुएशन बनाई गई है कि सरकार कुछ नहीं कर रही है। यह बहुत उलझाऊ स्थिति है। उन्होंने कहा कि बाहर जांच होना लोगों में अविश्वास पैदा करेगा। सरकार स्थिति को संभालने के लिए परिपक्व तरीके से डील कर रही है।

छह हिंसा प्रभावित जिलों के लिए बनेगी एसआईटी

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अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी (Attorney General R Venkataramani)  ने कहा कि किसी भी बाहरी जांच की अनुमति दिए बिना जिला स्तर पर एसआईटी (SIT) का गठन किया जाएगा। हिंसा प्रभावित छह जिलों में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को शामिल करते हुए एसआईटी (SIT)  का गठन किया गया है। पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी एसआईटी (SIT)  का नेतृत्व करेंगे। डीआईजी (DIG) और डीजीपी (DGP) लेवल के अधिकारी एसआईटी (SIT) के कामकाज की मॉनिटरिंग करेंगे।

महिला अपराधों की जांच करेगी सीबीआई

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) ने अदालत को बताया कि महिलाओं से जुड़े 12 मामलों की जांच सीबीआई (CBI)  करेगी। यदि महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित अन्य मामले सामने आए तो उनकी जांच भी सीबीआई (CBI) द्वारा की जाएगी। जिनमें सभी महिलाएं होंगी। उन्होंने कहा कि सीबीआई (CBI)  टीम में दो महिला एसपी अधिकारी हैं।

पुलिस पर भरोसा करना ठीक नहीं

वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह (Senior Advocate Indira Jaisingh) ने तर्क दिया कि मणिपुर में संघर्ष जारी है। मेरा केस जांच और आगे के अपराधों की रोकथाम को लेकर है। वहीं, वकील निजाम पाशा ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध के 16 एफआईआर हैं, सभी को सीबीआई को स्थानांतरित करने की आवश्यकता है। उन्होंने एसआईटी (SIT)   पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसका चयन राज्य द्वारा किया जाता है। पुलिस पर अपराधों में भागीदारी के आरोप हैं। चयन अदालत द्वारा होना चाहिए।

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वकील प्रशांत भूषण (Advocate Prashant Bhushan) ने तर्क दिया कि हथियारों और गोला-बारूद की आपूर्ति की जांच के लिए एक स्वतंत्र निकाय होना चाहिए। केंद्र ने तर्क दिया कि जांच में पुलिस पर भरोसा नहीं करना उचित नहीं होगा। एसजी मेहता (Tushar Mehta) ने कहा कि पुलिस अधिकारियों पर भरोसा न करना उचित नहीं होगा।

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