भारत के प्रमुख उद्योगपति रतन टाटा (Ratan Tata) ने बुधवार को दुनिया को अलविदा कह दिया है। रतन टाटा ने 86 साल की उम्र में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में आखिरी सांस ली। रतन टाटा के निधन से पूरे देश में शोक की लहर है।
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 7 अक्टूबर 2024 को अचानक ब्लड प्रेशर गिरने की वजह से रतन टाटा ( Ratan Tata) को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद उन्होंने एक बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा कि उनकी हालत ठीक है। हालांकि, जब उनकी तबीयत बिगड़ी तो उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पहले उनकी तबीयत में सुधार बताया जा रहा था, लेकिन बाद में हालत बिगड़ने की वजह से उनका निधन हो गया।
जब रतन टाटा जी ने एसपीजी को सिखाया था उत्कृष्टता का नुस्खा…
वाक्या 2007 या 2008 का होगा, जब मैं एसपीजी में प्रधानमंत्री जी की सुरक्षा में था। स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) का ध्येय वाक्य है, ‘जीरो एरर’ यानि ‘त्रुटी शून्य’ और एसपीजी में इसके लिए हमेशा विचार मंथन और उस पर… pic.twitter.com/cIq82jK252
— Asim Arun (@asim_arun) October 10, 2024
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रतन टाटा का अंतिम संस्कार गुरुवार को महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई स्थित वर्ली शमशान में किया जाएगा। सिर्फ व्यापार जगत के ही नहीं बल्कि बॉलीवुड हो या ऱाजनीतिक जगत या अन्य क्षेत्र चारो तरफ रतन टाटा के साथ बिताये वक्त और अनुभव या उनसे जुड़े किस्से को शेयर कर रहे है।
रतन टाटा (Ratan Tata) को लोग अपने तरीके से याद कर रहे हैं। इसी क्रम में योगी सरकार में मंत्री असीम अरुण ने सोशल मीडिया के प्लेटफार्म एक्स पर एक चिट्ठी शेयर की है। यह चिट्ठी उस वक्त की है जब वह पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सिक्योरिटी के लिए स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप यानी एसपीजी में सेवाएं दे रहे थे।
जब रतन टाटा जी ने एसपीजी को सिखाया था उत्कृष्टता का नुस्खा… वाक्या 2007 या 2008 का होगा, जब मैं एसपीजी में प्रधानमंत्री जी की सुरक्षा में था। स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) का ध्येय वाक्य है, ‘जीरो एरर’ यानि ‘त्रुटी शून्य’ और एसपीजी में इसके लिए हमेशा विचार मंथन और उस पर कार्रवाई चलती भी रहती है। इसी क्रम में एक लेक्चर आयोजित किया गया जिसमें श्री रतन टाटा जी को वक्ता के रुप में आमंत्रित किया गया था। SPG में ऐसे अवसरों पर सामान्य शिष्टाचार होता है कि एक अधिकारी मुख्य अतिथि को लेने के लिए जाता है और सौभाग्य से उस दिन यह जिम्मेदारी मिली, मुझे। निश्चित समय पर मैं उन्हें एस्कार्ट करने के लिए ताज मान सिंह होटल, नई दिल्ली पहुंच गया। मालूम हुआ कि टाटा जी जब भी दिल्ली में होते हैं तो यहीं रुकते हैं। प्रेसिडेंशियल सुइट में नहीं, बल्कि एक सामान्य कमरे में। उनको ले कर जब हम निकलने लगे तो उन्होंने, मुझे अपनी गाड़ी में ही बिठा लिया और यहां शुरु हुआ मेरे जीवन का एक सुंदर पन्ना। करीब 50 साल पुरानी मर्सिडीज और केवल ड्राइवर, ऐसे चलते थे वे। मैंने पूछा सर आपके साथ कोई सुरक्षा क्यों नहीं है तो सहजता से बोले मुझे भला किससे ख़तरा हो सकता है? मैंने फिर पूछा कि सर कोई सहयोगी कर्मी तो होना चाहिए जो आपके फोन संभालने जैसे काम करे तो बोले मुझे कभी ऐसी आवश्यकता ही नहीं महसूस हुई।