नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार (Modi Goverment) देश में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) को लागू करने वकालत करती आयी है, जिसे आगामी लोकसभा चुनाव (Loksabha Election 2024) से पहले इसे सरकार का सबसे बड़ा दांव माना जा रहा है। समान नागरिक संहिता का मुद्दा सत्ताधारी भाजपा के उन वादों में भी शामिल रहा है, जो वह चुनाव के दौरान करती आयी है।
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सूत्रों की माने तो मोदी सरकार आगामी मानसून सत्र में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) का बिल संसद में पेश कर सकती है। मॉनसून सत्र में समान नागरिक संहिता बिल (Uniform Civil Code Bill) लाने की तैयारी कर ली गयी है और इसे कानून संबंधी बिल संसदीय समिति (Parliamentary committee) को भी भेजा सकता है। वहीं, समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) को लेकर सांसदों के विचार जानने के लिए संसदीय स्थायी समिति की 3 जुलाई को बैठक बुलाई गई है। जिसमें विधि आयोग, कानूनी मामलों के विभाग और विधायी विभाग के प्रतिनिधि शामिल रहेंगे।
इससे पहले 14 जून को विधि आयोग (Law Commission) द्वारा समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) पर आम लोगों से सुझाव मांगा गया था जिसके बाद इस मुद्दे पर विधि आयोग, कानूनी मामलों के विभाग और विधायी विभाग के प्रतिनिधियों को बुलाया गया है। पिछले दिनों पीएम मोदी (PM Modi) ने भोपाल में जनसभा को संबोधित करते हुए समान नागरिक संहिता पर चर्चा की थी। जिसके बाद से देश में समान नागरिक संहिता को लेकर चर्चा तेज हो गयी है।
बता दें कि मौजूदा समय में देश में हर धर्म का पर्सनल लॉ (Personal Law) है, जिसमें शादी, तलाक और संपत्तियो के लिए अपने अलग-अलग कानून हैं। लेकिन समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) में सभी धर्मों के लिए एक कानून की व्यवस्था होगी। जिससे सभी धर्मों में रहने वालों लोगों के मामले सिविल नियमों से ही निपटाए जा सकेंगे। इसमें शादी, तलाक, गोद लेने, उत्तराधिकार और संपत्ति का अधिकार से जुड़े कानूनों को सुव्यवस्थित किए जाएंगे।