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Braking- मुख्तार अंसारी को मिली जमानत, जानें क्या जेल से आएंगे बाहर?

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ। मऊ जिले के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) को मंगलवार को एमपी एमएलए कोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट में जमानत दे दी है। यह जमानत अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम की कोर्ट से मिली है। बता दें कि मुख्तार अंसारी के खिलाफ 2009 में थाना मोहम्मदाबाद में गैंगस्टर का मुकदमा दर्ज हुआ था। मुख्तार अंसारी 25 अक्टूबर 2005 से जेल में है। कोर्ट के इस फैसले के बाद मुख्तार अंसारी के यूपी विधानसभा चुनाव 2022  (UP assembly elections 2022 ) में उतरने का रास्ता साफ हो गया है।

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मुख्तार अंसारी के जेल में रहते हुए 12 साल 8 महीना हो पूर्ण चुके हैं। गैंगस्टर एक्ट में अधिकतम 10 साल की सजा है। जिसको लेकर मुख्तार अंसारी की तरफ से हाई कोर्ट में रिट दाखिल किया गया था। उसी रिट पर हाईकोर्ट ने न्यायालय को डायरेक्शन दिया था ।
आज कोर्ट ने जमानत दे दी है।

हालांकि वह अभी जेल में ही रहेंगे। इस बात की जानकारी मुख्तार अंसारी के वकील लियाकत अली ने दी। एडवोकेट लियाकत अली ने बताया कि हाईकोर्ट के डायरेक्शन के साथ धारा 436 ए के तहत गाजीपुर जिला एवं सत्र न्यायालय की एडीजे फर्स्ट कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया गया था।

मुख्तार अंसारी ने कोर्ट में दी थी याचिका

जेल में बंद विधायक ने अदालत को प्रार्थना पत्र लिखकर कहा था कि कि गैंगेस्टर एक्ट में अधिकतम 10 वर्ष की सजा है। जबकि आरोपी 25 अक्टूबर 2005 से जेल में है और जेल में रहते हुए 12 साल 8 महीने पूरे हो चुके हैं।

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वकील ने बताया कि इस प्रार्थना पत्र के आधार पर कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को गैंगस्टर के मामले में जमानत दी है। मुख्तार अंसारी इस मामले में हाईकोर्ट तक गए हैं।

विधायक की याचिका पर यूपी सरकार ने दिया था यह जवाब

बंदी प्रत्यक्षीकरण के तहत दायर इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर विधायक की याचिका में कहा गया था कि आरोपी गैंगस्टर एक्ट की सजा को काट चुका है। इसलिए रिहा कर देना चाहिए। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान यूपी सरकार से जवाब मांगा है। अपने जवाब में यूपी सरकार ने कहा था कि मुख्तार तमाम मुकदमों में जेल में बंद हैं, इसलिए उनकी याचिका उचित नहीं है। यूपी में मुख्‍तार अंसारी के खिलाफ 52 मुकदमे दर्ज हैं इनमें से 15 केस ट्रायल स्टेज पर हैं।

बीते महीने इलाहाबाद  हाईकोर्ट ने दिया था यह निर्देश
बीते महीने इलाहाबाद हाईकोर्ट में जज जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जज जस्टिस साधना रानी ठाकुर की डिवीजन बेंच ने ट्रायल कोर्ट को गैंगस्टर के दो मामलों में कस्टडी वारंट पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया था। हाईकोर्ट ने 6 सप्ताह में ट्रायल कोर्ट को वारंट पर पुनर्विचार करने के निर्देश दिए थे।

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