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एनसीपी शरद पवार गुट के नेता एकनाथ खडसे ने संन्यास का किया ऐलान, बेटी को चुनाव जितवाने की जनता से की अपील

By संतोष सिंह 
Updated Date

मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assembly Elections) प्रचार के आखिरी दिन सोमवार को एनसीपी शरद पवार गुट (NCP Sharad Pawar faction_ के नेता एकनाथ खडसे (Eknath Khadse) राजनीति से संन्यास की घोषणा कर राजनीतिक गलियारों में बड़ी हलचल पैदा कर दी है। उन्होंने आगे कोई चुनाव नहीं लड़ने के अपने फैसले का ऐलान करते हुए एक भावुक बयान भी दिया। उन्होंने अपनी बेटी रोहिणी खडसे (Rohini Khadse) को जिताने की अपील करते हुए कहा कि यह तो भगवान ही तय करेंगे कि मैं अगला चुनाव देखूंगा या नहीं। करीब चार दशकों तक खडसे का जलगांव जिले में ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति में दबदबा रहा है। हाल में उनके भाषणों को लेकर बहुत चर्चा हुई थी।

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बेटी रोहिणी खडसे (Rohini Khadse) की ओर से सोशल मीडिया पर शेयर किए गए वीडियो में एकनाथ खडसे ने कहा है कि, मैं नाथाभाऊ से बात कर रहा हूं। विधानसभा चुनाव 20 नवंबर को है। इस चुनाव में रोहिणी खडसे एनसीपी की उम्मीदवार हैं। मैं अब और चुनाव नहीं लड़ूंगा। मैं कई वर्षों से आपके साथ हूं। आप सभी ने सालों से मेरा समर्थन किया है। हमने जाति और धर्म से ऊपर उठकर सभी की मदद की है।

वीडियो में वो आगे कहते हैं कि भगवान तय करेंगे कि मैं स्वास्थ्य कारणों से अगला चुनाव देखूंगा या नहीं, लेकिन एकनाथ खडसे ने भावुक अपील करते हुए कहा कि जिस तरह आपने मेरा समर्थन किया है, उसी तरह रोहिणी खडसे (Rohini Khadse) को भी समर्थन देकर चुना जाना चाहिए।

 सरपंच से लेकर 12 विभागों के मंत्री तक

बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे (BJP leader Gopinath Munde) के साथ एकनाथ खडसे राज्य में बीजेपी का चेहरा थे। गोपीनाथ मुंडे के साथ खडसे ने पार्टी के विकास में बहुत योगदान दिया। एकनाथ खडसे ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कोठारी गांव के सरपंच (1987) के रूप में की। इसके बाद उन्होंने राजनीति में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. वे विधायक, नेता प्रतिपक्ष, 12 विभागों के मंत्री जैसे विभिन्न पदों पर रहे। उन्होंने पार्टी में कई लोगों को खड़ा किया। उनकी बात दिल्ली तक सार्थक थी।

मुख्यमंत्री पद की दौड़ में थे शामिल

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एक समय ऐसा भी आया था जब उनका नाम मुख्यमंत्री पद की दौड़ में बताया गया था, लेकिन देवेंद्र फडणवीस से मतभेद के बाद एकनाथ खडसे की बीजेपी में हैसियत घटने लगी। उनके साथ लगातार दोयम दर्जे के व्यवहार का आरोप लगता रहा। इसलिए उन्होंने 2020 में बीजेपी छोड़ दी और एनसीपी में शामिल हो गए।

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