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Nepal Vice President : रामसहाय प्रसाद यादव बने नेपाल के तीसरे उपराष्ट्रपति, चुनाव आयोग ने किया ऐलान

By संतोष सिंह 
Updated Date

काठमांडू। मधेसी नेता रामसहाय प्रसाद यादव (Ram Sahaya Prasad Yadav) नेपाल के नए उपराष्ट्रपति चुने गए। इसकी घोषणा नेपाल के चुनाव आयोग (Election Commission) ने की है। बता दें कि रामसहाय प्रसाद यादव को लेकर पहले से ही उपराष्ट्रपति बनने की संभावना थी। बता दें कि नेपाल में उपराष्ट्रपति पद के लिए जनता समाज पार्टी से  रामसहाय प्रसाद यादव (Ram Sahaya Prasad Yadav) , सीपीएन-यूएमएल से अष्ट लक्ष्मी शाक्य, जनमत पार्टी से प्रमिला यादव और ममता झा को पछाड़कर यह कुर्सी हासिल की है।

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इससे पहले, उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार पर आम राय बनाने के लिए बुधवार को काठमांडू में प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ (Prime Minister Pushpa Kamal Dahal ‘Prachanda’) के आधिकारिक आवास पर हुई राजनीतिक दलों की बैठक बेनतीजा रही थी।

रामसहाय प्रसाद यादव (Ram Sahaya Prasad Yadav)  को नेपाली कांग्रेस की तीन प्रमुख पार्टियों, सीपीएन-माओवादी सेंटर और सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट सहित सात दलों का समर्थन प्राप्त था, जिससे उनका उपराष्ट्रपति बनना लगभग तय हो गया था। मालूम हो कि नेपाल के दक्षिणी तराई क्षेत्र में मधेसी समुदाय ज्यादातर भारतीय मूल के हैं।

रामसहाय को मिला कई दलों का समर्थन

बता दें कि चुनावों के बीच, प्रमिला यादव ने अपनी उम्मीदवारी वापस लेने की घोषणा की थी और रामसहाय प्रसाद यादव (Ram Sahaya Prasad Yadav)  का समर्थन किया था। हालांकि, उनकी घोषणा के बावजूद, रविवार को चुनाव आयोग (Election Commission) द्वारा उम्मीदवारों की अंतिम सूची जारी करने से पहले उनकी उम्मीदवारी को आधिकारिक रूप से वापस नहीं लिया गया था।

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जानें नेपाल में कैसे होता है उपराष्ट्रपति का चुनाव?

बता दें कि नेपाल में राष्ट्रपति की तरह, उपराष्ट्रपति का चुनाव भी एक भारित मतदान प्रणाली के आधार पर होता है, जिसमें एक निर्वाचक मंडल होता है, जिसमें संघीय संसद (प्रतिनिधि सभा और नेशनल असेंबली) और प्रांतीय विधानसभाओं के सदस्य शामिल होते हैं।

नेपाल में संघीय संसद के 332 मतदाताओं और प्रांतीय विधानसभाओं के 550 मतदाताओं के मतों का कुल भारांक 52,628 होता है। इस प्रकार एक उम्मीदवार को चुनाव जीतने के लिए कम से कम 26,315 मत प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। नेपाल में 2008 में संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य प्रणाली को अपनाने के बाद से यह तीसरा उपराष्ट्रपति चुनाव था। उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पांच वर्ष का होता है।

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