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Nirjala Ekadashi 2023 : तुलसी का प्रयोग  निर्जला एकादशी में इस तरह करें, किया जाता है मां लक्ष्मी का पूजन

By अनूप कुमार 
Updated Date

Nirjala Ekadashi 2023 : व्रत उपवास की श्रंखला में निर्जला एकादशी एक कठिन व्रत है। इस व्रत में पूरे दिन जल भी ग्रहण नहीं किया जाता है। पौराणिक मान्यता है कि  एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने पर भक्तों के सभी कष्ट श्री हरि हर लेते हैं। आज ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में निर्जला एकादशी पड़ रही है। इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के साथ-साथ मां लक्ष्मी का पूजन भी किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं में तुलसी को बहुत पवित्र माना जाता है।  वहीं, तुलसी माता विष्णु भगवान की प्रिय मानी जाती हैं। ऐसे में भक्त निर्जला एकादशी के दिन तुलसी उपाय करके भगवान विष्णु को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं।

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पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह में एकादशी तिथि 30 मई दोपहर 1 बजकर 7 मिनट से शुरू हो रही है। 31 मई, बुधवार के दिन इस बार निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत के दिन सर्वाद्ध सिद्धि योग सुबह 5 बजकर 24 मिनट से सुबह 6 बजे तक रहेगा।

पंजीरी के भोग में भी तुलसी के पत्ते
 निर्जला एकादशी की पूजा में तुलसी के पत्तों को भोग स्वरूप चढ़ाए जाने वाले चरणामृत में डाला जा सकता है। इस चरणामृत को ही प्रसाद के रूप में दिया जा सकता है। पंजीरी के भोग में भी तुलसी के पत्ते डाले जा सकते हैं।

तुलसी  परिक्रमा 
निर्जला एकादशी के दिन विष्णु भगवान की पूजा के पश्चात तुलसी के पौधे की परिक्रमा की जा सकती है। तुलसी की 11 बार परिक्रमा करना शुभ होता है।

तुलसी के समक्ष दीया 
निर्जला एकादशी के दिन  तुलसी के समक्ष दीया जलाने को भी अच्छा माना जाता है। कहते हैं ऐसा करने से पारिवारिक कठिनाइयां दूर होती हैं।

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