नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को अभिभावकों को राहत देते हुए अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हाई कोर्ट के उस आदेश से रोक हटा दी है। जिसमें हाईकोर्ट ने 15 फीसदी फीस वापसी पर रोक लगा दी थी। अब सभी स्कूलों को कोरोना काल (Covid Period) में ली गई फीस का 15 फीसदी अभिभावकों को वापस करना होगा, 2020-21 में छात्रों से ली गई फीस का 15 फीसदी अब सभी स्कूलों को वापस करना होगा। हाई कोर्ट के फीस वापसी वाले आदेश पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने रोक हटाई रोक। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि कोविड के दौरान स्कूलों ने अपने संसाधनों का पूरा इस्तेमाल नहीं किया, इसलिए अभिभावक राहत के अधिकारी हैं। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने साफ कर दिया कि स्कूल प्रबंधन को कोविड काल (Covid Period) के दौरान साल, 2020-21 के दौरान ली गई फीस का 15 फीसदी हिस्सा अभिभावकों को वापस करना होगा।
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कोविड कॉल में स्कूलों ने वसूली थी पूरी फीस
कोरोना महामारी (Corona Epidemic) के समय सभी स्कूल बंद थे। उस दौरान वर्क फ्रॉम होम (Work From Home) के तहत टीचर बच्चों को आनलाइन पढ़ाते थे। स्कूल बंद होने के बावजूद प्रबंधन ने अभिभावकों से पूरी फीस वसूल की थी। स्कूल प्रबंधन की इस मनमानी के खिलाफ अभिभावकों इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) का दरवाजा खटखटाया था। उच्च न्यायालय ने स्कूल प्रबंधन को आदेश दिया था कि साल, 2020-21 के दौरान ली गई फीस का 15 फीसदी हिस्सा अभिभावकों को वापस करें या उसे आगामी फीस में समायोजित करें। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद शासन ने भी नोटिफिकेशन जारी कर स्कूलों को आदेश दिया था कि वे कोर्ट के आदेशानुसार अभिभावकों को 15 फीसदी फीस वापस करें। शासन ने यह भी कहा था कि उसी स्कूल की अगली कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों की फीस को समायोजित कर सकते हैं। लेकिन, स्कूल छोड़कर जाने वाले बच्चों के अभिभावकों को 15 फीसदी फीस लौटानी होगी।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के फैसले को स्कूल प्रबंधन ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती दी थी। तब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के आदेश पर स्टे लगा दिया था। लेकिन, लंबी बहस के बाद आखिर, शुक्रवार को अदालत ने अभिभावकों के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि स्कूल प्रबंधन को कोविड काल (Covid Period) के दौरान साल, 2020-21 के दौरान स्कूल के संसाधनों का पूरा इस्तेमाल नहीं किया। इसलिए अभिभावकों को राहत मिलनी ही चाहिए।
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अभिभावक संघ किया फैसले का स्वागत
गौतमबुद्ध नगर अभिभावक संघ के अध्यक्ष यतेंद्र कसाना ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि लंबी लड़ाई के बाद अभिभावकों की जीत हुई है। उन्हें न्याय मिला है। कोर्ट के इस फैसले से आम लोगों का न्याय प्रणाली पर विश्वास बढ़ा है।