Pashupati Kumar Paras jeevan parichay : पशुपति कुमार पारस राजनीति में अचानक सुर्खियों में पारस तब आए जब उन्होंने अपने दिवंगत भाई रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा का तख्तापलट कर दिया। उन्होंने पार्टी के पांच सांसदों के साथ बगावत करते हुए भतीजे चिराग पासवान को नेता मानने से इंकार कर दिया। इसके बाद दो भागों में विभाजित हो गई।
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पशुपति कुमार पारस ने अक्टूबर 2021 में राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) का गठन कर दिया और एनडीए का हिस्सा बन गई। 07 जुलाई 2021 को केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण एवं उद्योग मंत्री का पद संभाला। पारस ने राजनीतिक परिदृश्य में अपनी एक अलग पहचान बनाई है।
पशुपति कुमार पारस अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत अपने भाई, दिवंगत रामविलास पासवान से प्रभावित होकर की। पशुपति कुमार पारस का राजनीतिक सफर लोजपा के विकास के साथ जुड़ा हुआ है, एक ऐसी पार्टी जिसने बिहार की राजनीति और कभी-कभी राष्ट्रीय मंच पर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
ये है पूरा सफरनामा
नाम: पशुपति कुमार पारस
जन्म स्थान: शहरबन्नी, खगड़िया, बिहार।
जन्म तिथि : 12 जुलाई 1952
पिता का नाम : स्वर्गीय जामुन दास
माता का नाम : स्वर्गीय सिया देवी
विवाह तिथि : 02 सितंबर 1971
पत्नी : शोभा देवी, जो खगडिय़ा के मध्य विद्यालय से प्रधानाध्यापक पद से सेवानिवृत्त हैं।
पुत्र : पुत्र यश राज उर्फ मुस्कान
पुत्री : ईशा स्मृति
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व्यवसाय,शैक्षिक योग्यता
प्रारंभिक पढ़ाई शहरबन्नी में की, फिर कोसी कालेज, खगडिय़ा से राजनीति शास्त्र में स्नातक (1972) एवं तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय से बीएड (1974)। दस माह तक प्राथमिक विद्यालय, खगडिय़ा में शिक्षक के तौर पर काम। फिर नौकरी छोड़ कर 1977 में जेपी आंदोलन में भागीदारी।
पशुपति कुमार पारस की राजनीतिक सफर
2024: पशुपति कुमार पारस ने भारत सरकार के तहत खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय से इस्तीफा दे दिया।
2021: खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री के रूप में पशुपति कुमार पारस को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया।
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2021: पारस ने खुद सहित 5 लोजपा सांसदों के विद्रोही समूह का नेतृत्व किया, एक अलग मान्यता की मांग की और जून 2021 में खुद को लोक जनशक्ति पार्टी के नेता और प्रमुख के रूप में घोषित किया।
2019: पशुपति कुमार पारस ने हाजीपुर से 17वीं लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीता।
2005: अलौली से लोजपा उम्मीदवार के रूप में विधानसभा चुनाव लड़ा और जीते। वह 2010 और 2015 में चुनाव हार गए।
1995: जनता दल के उम्मीदवार के रूप में अलौली से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीते।
1985: लोकदल के उम्मीदवार के रूप में अलौली से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीते।
1977: पशुपति कुमार पारस ने जनता दल के उम्मीदवार के रूप में अलौली से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीते।