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UPPCL में PF घोटाला: भ्रष्टाचारी अफसरों ने डूबाया 32,000 कर्मचारियों के 2,800 करोड़ रुपये, आखिर इन परिवारों को कब मिलेगा न्याय?

By टीम पर्दाफाश 
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) की 4,200 करोड़ रुपये से अधिक की भविष्य निधि के घोटाले का जिन्न एक बार फिर बाहर आने लगा है। इस घोटाले में करीब 32,000 कर्मचारियों के खून-पसीने की कमाई के 2800 करोड़ रुपये डूब गए हैं। ये सब भ्रष्टाचारी अफसरों की मिलीभगत से हुआ लेकिन उन अफसरों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिनके चलते कर्मचारियों के करोड़ों रुपये डूब गए। हालांकि, इस घोटाले के दौरान उत्‍तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक पद पर तैनात अर्पणा यू को अहम पोस्टिंग देकर सरकार ने जरूर इनाम दे दिया है। यही नहीं, सरकार ने इस मामले में सीबीआई को अभी पूछताछ की इजाजत नहीं दी है, जिसके कारण ये भी मामला फाइलों में दबकर रह गया है। वहीं, अर्पणा यू जैसी विवादित अफसरों को उत्तर प्रदेश सरकार में मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट की सेक्रेटरी के पद पर तैनाती दी गयी है। इसके साथ ही, डायरेक्टर जनरल (DG), मेडिकल एजुकेशन का अतिरिक्त चार्ज भी दिया गया है।

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बता दें कि, उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड ने निजी कंपनी डीएचएफएल में कर्मचारियों का करीब 4200 करोड रुपये पीएफ निवेश किया था, जिसमें से 2800 करोड रुपए डूब गए थे। इस मामले के तूल पकड़ने के बाद उत्‍तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक पद पर तैनात रहीं अर्पणा यू को हटा दिया गया था। हालांकि, कार्रवाई के नाम पर उन्हें दूसरी अहम जगह पोस्टिंग दे दी गयी थी। ये घोटाला 2019 में सामने आया था। मार्च 2020 में इस घोटाले की जांच का जिम्मेदारी सीबीआई को सौंपी गयी थी। इसके बाद सीबीआई ने अर्पणा यू, संजय अग्रवाल, और आलोक से पूछताछ की अनुमति मांगी थी। ये तीनों अधिकारी 2013 से 2019 के बीच अलग-अलग वक्त पर UPPCL में पोस्टेड रहे थे। हालांकि, सरकार ने एजेंसी को अभी पूछताछ की इजाजत नहीं दी है, जिसके कारण ये भी मामला फाइलों में दबकर रह गया है।

 

32000 हजार परिवारों पर संकट
भ्रष्टाचारी अफसरों ने उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के करीब 3200 कर्मचारियों की खून-पसीने की कमाई को दलदल में डाल दिया। इसके कारण आज 32000 कर्मचारियों के सामने बड़ा संकट आ गया है। इस मामले में शुरूआती दिनों में खूब हल्ला हुआ लेकिन किसी पर कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई, जो नजीर बने। यही नहीं, अर्पणा यू समेत अन्य आईएएस अफसरों को बचाने के लिए सीबीआई को पूछताछ की अनुमति तक नहीं दी गयी। ऐसे में आज 32000 कर्मचारियों के सामने बड़ा संकट है।

अर्पणा यू का विवादों से है पुराना नाता
बता दें कि, IAS अफसर अर्पणा यू पर कई गंभीर आरोप लगे हैं, जिसके कारण उनको अपने पद से भी हटाया जा चुका है। आंध्र प्रदेश में हुए करीब तीन हजार करोड़ के स्किल ​डेवलपमेंट घोटाले में भी इनका नाम चर्चा में आया था। ये घोटाला उस समय उजागर हुआ था ​जब अपर्णा आंध्र प्रदेश में इंटर कैडर डेप्‍युटेशन पर तैनात थीं। इन पर आरोप था कि, अर्पणा के आंध्र प्रदेश में तैनाती के दौरान उनके पति को 3300 करोड़ का ठेका मिला था और ये ठेका अपर्णा ने ही दिलवाया था। इस मामले की चर्चाओं ने जोर पकड़ा तो जांच हुई, जिसमें अर्पणा यू और उनके पति की मिलीभगत भी उजागर हुई थी। वहीं, जिस समय ये घोटाला हुआ, अपर्णा के पति भाष्‍कर नोएडा में सीमेंस कंपनी में कार्यरत थे। वहीं, कुछ रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि, आंध्र प्रदेश में कौशल विकास परियोजना के लिए सीमेंस इंडस्ट्री सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड से 58 करोड़ में सॉफ्टवेयर खरीदा गया था। दस्‍तावेज में फर्जीवाड़ा कर सॉफ्टवेयर की कीमत 3300 करोड़ तक बढ़ा दी गई। आरोप है कि इस मामले में तत्‍कालीन आंध्र प्रदेश सरकार ने प्रोजेक्‍ट की 10 फीसदी राशि यानि करीब 371 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया था।

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