लखनऊ: यूपी की योगी सरकार ने नगरीय निकाय चुनाव के लिए महापौर, अध्यक्षों, सभासदो व पार्षदों का चुनाव कराने के लिए आरक्षण की अनंतिम अधिसूचना गुरुवार को जारी कर दी है।
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प्रदेश के नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने आज प्रेसवार्ता कर इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रदेश में वर्तमान में कुल 762 नगरीय निकाय में से 760 में ही चुनाव होंगे। इसमें 17 नगर निगमों के महापौर, 199 नगर पालिका परिषदों तथा 544 नगर पंचायतों के अध्यक्ष और कुल 13,965 वार्डों में सभासद/पार्षद का चुनाव कराने के लिए आरक्षण की अनंतिम अधिसूचना जारी कर दी गई है।
उन्होंने बताया कि आपत्तियों के संबंध में प्रमुख सचिव, नगर विकास विभाग, उ०प्र० शासन को सम्बोधित करते हुए लिखित आपत्तियाँ, यदि कोई हो, तो लिखित रूप में अथवा डाक के माध्यम से अधिसूचना के प्रकाशन की तिथि 30 मार्च 2023 से दिनांक 06 अप्रैल 2023 को सायं 06:00 बजे तक निदेशक, स्थानीय निकाय निदेशालय, सेक्टर-7, गोमतीनगर विस्तार, उप्र, लखनऊ को प्रेषित की जा सकती है।
केवल प्रमुख सचिव, नगर विकास विभाग, उप्र शासन को सम्बोधित तथा निदेशक, नगर निकाय निदेशालय, उ०प्र०, लखनऊ को प्राप्त व्यक्तिगत रूप से प्राप्त आपत्तियाँ अथवा डाक के माध्यम से प्राप्त आपत्तियों पर ही विचार किया जायेगा ।
नगर विकास मंत्री ने बताया कि महराजगंज की नगर पालिका परिषद, सिसवा बाजार तथा जनपद बस्ती की नगर पंचायत भानपुर के संबंध में प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन होने पर चुनाव नहीं कराए जा सकते, जिससे आरक्षण की घोषणा नहीं की गई।
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उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 27 मार्च के निर्णय के चंद घंटों के अंदर ही दी गई समय सीमा से भी पहले आज ओबीसी सहित सभी वर्गों को आरक्षण के साथ आरक्षण की अधिसूचना जारी कर दी गई। कहा कि पिछड़े वर्गों के कल्याण और उनके आरक्षण के लिए भाजपा और राज्य सरकार पहले भी प्रतिबद्ध थी, आज भी है और आगे भी रहेगी।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने ओबीसी वर्ग को पूर्ण आरक्षण देते हुए 05 दिसम्बर,2022को आरक्षण की अनंतिम अधिसूचना जारी की थी, जिसमें OBC के लिए सभी प्रकार की सीटों और पदों पर 27 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गयी थी।
ओबीसी सहित सभी कमजोर वर्गों को पूर्ण आरक्षण देने की वही नीति राज्य सरकार आज भी रखी है यह आज के नोटिफिकेशन से स्पष्ट है।भाजपा सरकार की मंशा साफ़ थी और है। इसीलिए सरकार ने हाईकोर्ट के 27 दिसंबर,2022 के आदेश के 24 घण्टे के भीतर ही पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन कर दिया और और 72 घंटे के अंदर सुप्रीम कोर्ट में अपील कर दिया था।