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राहुल गांधी ने डीके शिवकुमार को किया मैसेज, बोले- कृपया इंतज़ार करें, मैं आपको करूंगा कॉल

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद को लेकर टकराव जारी है। इसके बीच लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष व कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने डीके शिवकुमार (DK Shivakumar)  को व्हाट्सऐप मैसेज किया है। डीके शिवकुमार (DK Shivakumar) पिछले एक सप्ताह से राहुल गांधी (Rahul Gandhi)  से संपर्क करने की कोशिश कर रहे थे। अब राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने डीके शिवकुमार (DK Shivakumar) को रिप्लाई में लिखा, कृपया इंतज़ार करें, मैं आपको कॉल करूंगा। खबर है कि उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार (Deputy Chief Minister DK Shivakumar) 29 नवंबर को दिल्ली के लिए उड़ान भर सकते हैं। उन्होंने सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) से मिलने का समय मांगा है। डीके शिवकुमार (DK Shivakumar)का उसी दिन वापस लौटने का कार्यक्रम है।

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कर्नाटक में कांग्रेस का ज्‍वालामुखी है फटने के कगार पर 

कर्नाटक में कांग्रेस का ज्‍वालामुखी फटने के कगार पर है। सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच का संघर्ष अब सिर्फ राख ही नहीं, लावा भी उगल रहा है। इस सूबे के कांग्रेसी इंतेजार में हैं कि पार्टी ‘हाईकमान’ समय रहते फायरब्रिगेड की भूमिका निभाएगा, लेकिन सबसे बड़े फायर फाइटर राहुल गांधी ही सीन से गायब हैं। दिलचस्‍प, सिर्फ हाईकमान की भूमिका ही नहीं, इस फसाद की जड़ भी है। जिसका कांग्रेस के भीतर एक लंबा अतीत है। किस तरह दो नेता आपस में टकराते हैं, और पार्टी दो धड़े में बंट जाती है और बिखर जाती है।

आखिर मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर कांग्रेस के भीतर खींचतान कब खत्म होगी?

कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बने ढाई साल से ज्‍यादा हो चुका है, लेकिन माहौल स्थिर होने के उलट अब बेहद बेचैनी भरा है। राजनीतिक गलियारों में सबसे ज्‍यादा चर्चा इसी बात की है कि आखिर मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर कांग्रेस के भीतर खींचतान कब खत्म होगी। सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच चली आ रही यह अंदरूनी टकराहट अब सिर्फ बैकग्राउंड की कहानी नहीं रह गई है। इस पूरे मामले में कांग्रेस हाईकमान की भूमिका बेहद अहम होने के बावजूद हाईकमान ही सबसे ज्‍यादा चुप है। और यही चुप्पी आज पूरे संकट का सबसे बड़ा कारण बन गई है। कर्नाटक से आने वाली हर खबर में एक बात बार-बार दोहराई जाती है कि चुनाव के समय किसी तरह का सत्ता-साझेदारी का फॉर्मूला बना था। जिसके मुताबिक सिद्धारमैया आधा कार्यकाल पूरा करेंगे और उसके बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी शिवकुमार को मिल सकती है।

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कुल मिलाकर, जो एक बार सीएम की कुर्सी पर बैठा, वो फिर उठा नहीं और कांग्रेस नेतृत्‍व की उस पर एक न चली

हालांकि यह फॉर्मूला न तो कभी कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया, और न ही किसी दस्तावेज़ में इसका जिक्र है, लेकिन राजनीति में कई बातें कागज पर नहीं लिखी जातीं। बातें कमरे में होती हैं और भरोसे पर टिकी रहती हैं। यही भरोसा आज डगमगाया हुआ दिखता है। ऐसी ही हलचल कभी राजस्‍थान तो कभी छत्‍तीसगढ़ में देखी गई। राजस्‍थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच खींचतान इस तरह बढ़ी थी कि लग रहा था कि सचिन भी ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया की तरह पार्टी छोड़ देंगे। ऐसा तो नहीं हुआ, लेकिन राज्‍य में कांग्रेस परोक्ष रूप से दो धड़ों में बंट गई। छत्‍तीसगढ़ में भी भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के बीच ‘पावर-शेयरिंग’ फॉर्मूला अमल में नहीं लाया जा सका। कुल मिलाकर, जो एक बार सीएम की कुर्सी पर बैठा, वो फिर उठा नहीं और कांग्रेस नेतृत्‍व की उस पर एक न चली।

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