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Raksha Bandhan 2023 : ऐसे हुई थी रक्षाबंधन की शुरुआत, जानें इससे जुड़ी पौराणिक कथा

By अनूप कुमार 
Updated Date

Raksha Bandhan 2023 : भाई बहन के प्रेम का त्योहार रक्षाबंधन सावन माह की पूर्णिमा तिथि मनाया जाता है। इस दिन बहनें भाई के दाहिनी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है और भाई बहन की रक्षा का वचन देता है।  इस साल 30 और 31 अगस्त दो दिन मनाया जाएगा। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई में रक्षा सूत्र यानी राखी बांधकर उसकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। देश में यह त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। रक्षाबंधन से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं जो कि इसके इतिहास व महत्व को बताती हैं।

पढ़ें :- Raksha Bandhan 2023 : रक्षाबंधन पर आज भद्रा का साया, शुभ मुहूर्त में बांधें राखी

पहली प्रचलित कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार महाप्रतापी राजा बलि ने अश्वमेघ यज्ञ कराया था, उस समय भगवान विष्णु ने बौने का रूप धारण किया और राजा बलि 3 पग भूमि दान में मांगी। राजा बलि इसके लिए तैयार हो गए और जैसे ही उन्होंने हां कहा, वामन रूप धारी भगवान विष्णु ने धरती और आकाश को अपने दो पगों से नाप दिया। इसके बाद उनका विशाल रूप देखकर राजा बलि ने अपने सिर उनके चरणों में रख दिया। फिर भगवान से वरदान मांगा कि जब भी मैं भगवान को देखूं तो आप ही नजर आएं। हर पल सोते जागते उठते बैठते आपको देखना चाहता हूं। भगवान ने उन्हें वरदान दिया और उनके साथ रहने लगे।

जिसके बाद माता लक्ष्मी परेशान हो गईं और नारद मुनि को सारी बात बताई। नारद जी ने कहा कि आप राजा बलि को अपना भाई बनाकर भगवान विष्णु के बारे में पूछो। इसके बाद माता लक्ष्मी राजा बलि के पास रोते हुए पहुंची तो राजा ने पूछा कि आप क्यों रो रही हैं, मुझे बताइए मैं आपका भाई हूं। यह सुनकर माता लक्ष्मी ने राजा बलि को राखी बांधी और भगवान विष्णु को मुक्त करने का वचन लिया। तभी से रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जा रहा है।

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