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आर्थिक आधार पर नौकरियों में आरक्षण को मिले प्राथमिकता, अधिवक्ता रीना एन सिंह की जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में स्वीकार

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। नौकरियों में आरक्षित श्रेणी के अंतर्गत आर्थिक श्रेणी का उपवर्ग बनाने एवं चयन प्रक्रिया में उसको प्राथमिकता दिए जाने हेतु सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट रीना एन सिंह की जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सूर्यकांत और जांयमाल्या बागची की पीठ ने जनहित याचिका की सराहना करते हुए और टिप्पणी करते हुए रीना एन सिंह से कहा कि आप स्वयं इस व्यापक परिवर्तन के विरोध के लिए तैयार रहियेगा।

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रमाशंकर प्रजापति बनाम भारत संघ एवं अन्य मामले पर अनुच्छेद 32 के अंतर्गत एक जनहित याचिका रीना एन सिंह के द्वारा दायर की गई थी जिसमें आरक्षण को लेकर व्यापक संवैधानिक सुधार पर मांग की गई थी।अपनी जनहित याचिका में रीना एन सिंह ने मांग की थी कि आरक्षण लाभ को आर्थिक आधार पर प्राथमिकता दी जाए ताकि पात्र व्यक्ति को वरीयता दी जा सके रीना एन सिंह ने इसके लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 का जिक्र किया था इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि न्याय केवल कानून में ही नहीं बल्कि यह सुनिश्चित करने में भी है कि जिस व्यक्ति को इसकी आवश्यकता सबसे अधिक है उसे सबसे पहले इसकी मदद मिले।

पीठ ने एडवोकेट रीना एन सिंह के प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि जनहित याचिका इस वास्तविकता को स्पष्ट करती है कि लंबे समय से चले आ रहे आरक्षण के बावजूद आर्थिक रूप से वंचित लोग अक्सर पीछे छूट जाते हैं रीना एन सिंह ने कहा कि आर्थिक आधार पर प्राथमिकता तय करने से यह सुनिश्चित हो सकेगा की मदद वहां से शुरू हो जहां इसकी सबसे ज्यादा आवश्यकता है।

आय आधारित आरक्षण प्राथमिकता पर जनहित याचिका  स्वीकृति

आज, माननीय न्यायमूर्ति सूर्यकांत एवं माननीय न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ के समक्ष, न्यायालय संख्या 2 में, आइटम 30 – रामाशंकर प्रजापति बनाम भारत संघ एवं अन्य में, संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर जनहित याचिका को स्वीकृति प्रदान की गई।
यह याचिका, अधिवक्ता रीना एन. सिंह द्वारा दायर की गई है, जिसमें संवैधानिक रूप से संगत सुधार की मांग की गई है  कि आरक्षण के लाभ आय के आधार पर प्राथमिकता के साथ दिए जाएं, ताकि पात्र समुदायों में सबसे गरीब लोगों को पहले अवसर मिले। यह दृष्टिकोण संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 को और सुदृढ़ करता है, जिससे समान अवसर सुनिश्चित होता है, बिना मौजूदा कोटे में किसी परिवर्तन के।

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अधिवक्ता रीना एन. सिंह, बतौर बहसकर्ता, ने कहा न्याय केवल कानून में नहीं है  न्याय इस बात में है कि पहली मदद उसी हाथ तक पहुँचे, जिसे उसकी सबसे अधिक आवश्यकता है। पीठ ने, सराहनीय टिप्पणी करते हुए कहा कि वकील को “काफी विरोध का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा। यह मानते हुए कि यह याचिका दूरगामी प्रभाव डालेगी। यह जनहित याचिका उस कड़वी सच्चाई को संबोधित करती है कि दशकों के आरक्षण के बावजूद, सबसे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग अक्सर पीछे छूट जाता है, जबकि लाभ अपेक्षाकृत संपन्न वर्ग के हिस्से में चला जाता है। आय आधारित प्राथमिकता से यह सुनिश्चित होगा कि मदद वहीं से शुरू हो, जहाँ इसकी आज सबसे अधिक आवश्यकता है।

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