गाजियाबाद । सेवानिवृत्त आईएएस डॉ. अजय शंकर पाण्डेय ने लीक से हटकर अपनी पुस्तक ‘गांधीवादी प्रयोग : नरक से नगर की ओर’ का सफाईकर्मी सोमपाल व दयावती देवी ने हाथों से कराया। इसके साथ ही इस संस्करण से प्राप्त रॉयल्टी सफाई कर्मचारियों के मेधावी बच्चों की शिक्षा के लिए प्रदान करने की घोषणा की है। यह पुस्तक उत्तर प्रदेश में वर्ष 2004 से 2010 तक के नगरीय निकायों के यथार्थ की तस्वीर है। गोरखपुर व गाजियाबाद नगर निगमों के अनुभव के आधार पर पूरे स्थानीय निकाय व्यवस्था का एक खुला दस्तावेज है यह किताब।
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बता दें कि हमेशा गंदगी की सफाई में लगे एक सफाई कर्मी के हाथों को सम्मान मिलने का देश के इतिहास में एक पहला उदाहरण आज गाजियाबाद के हिन्दी भवन में देखने को मिला। प्रकाशक ने बताया कि पुस्तक 2012 में तैयार हो गई थी और राज्य सरकार से प्रकाशन की अनुमति भी प्राप्त हो गयी थी, परन्तु लेखक ने नैतिकता के उच्चतम मानक स्थापित करते हुए तत्समय इसे अपनी व्याख्या में सशर्त होने के कारण प्रकाशित नहीं कराया।
पुस्तक में कई रहस्योद्घाटन है। परंतु कई महत्वपूर्ण अंशों को प्रकाशन से स्थगित किया गया है। ये अप्रकाशित अंश नगर निगम से सम्बन्धित तमाम हितबद्ध पक्षों के कारनामों एवं दूषित कार्यप्रणाली से सम्बन्धित है। इन्हें द्वितीय संस्करण मे राज्य सरकार की सशर्त अनुमति की अवधि स्वयं विलोपित होने के बाद प्रकाशित करने की बात है।
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गाजियाबाद के कालखण्ड़ में कारवां के अध्यक्ष के रुप में अरविन्द केजरीवाल व मनीष सिसोदिया आदि के नगर निगम से हुए विवाद को साक्ष्य प्रस्तुत किया गया है। परन्तु पुस्तक के लेखक ने नैतिक आधार पर प्रकाशन के पूर्व सम्बन्धितों को अवलोकन, पुष्टि, टिप्पणी हेतु प्रेषित करने का निर्णय लिया। साथ ही टिप्पणी सहित और टिप्पणी न प्राप्त होने की स्थिति में उसे द्वितीय संस्करण में प्रकाशित करने का वादा पाठकों से किया है।
वर्ष 2007 से 2010 तक कार्यालय नगर निगम गाजियाबाद के इतिहास में एक स्वच्छ, पारदर्शी, ईमानदारी के कार्यकाल के लिए जाना जाता है। नगर निगम कार्यालय का रूपांतरण, कमीशन शून्य व्यवस्था, चरखे का प्रयोग, हिंडन नदी की सफाई, भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन आदि कार्यों का ससाक्ष्य विवरण है। गोरखपुर में अराजक तत्वों द्वारा नगर निगम को बंधक बनाए रखने एवं उनके मकड़जाल को भेदने की कहानी को बड़े रोचक ढ़ग से प्रस्तुत किया गया है।
पाण्डेय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2014 में स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की थी। यह एक क्रांतिकारी पहल है। स्वच्छता मिशन से देश के आम नागरिकों की सोच में बदलाव आया है। जागरूकता पैदा हुई। इस पुस्तक में स्थानीय निकायों को लेकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की सोच को प्रयोग में लाते हुए नगर निगम की कार्य प्रणाली को व्यवस्थित करने के तमाम प्रयोगों का उल्लेख किया गया है। इसके अलावा तमाम समस्याओं का समाधान सुझाया गया है।
सफाईकर्मियों को मिला पूरा प्रोटोकॉल
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डॉ. पाण्डेय की पुस्तक का विमोचन मुख्य अतिथि के रूप में 72 वर्षीय सेवानिवृत्त सफाईकर्मी सोमपाल व 65 वर्षीय सेवानिवृत्त महिला सफाईकर्मी दयावती के न केवल कर-कमलों से कराया गया, बल्कि पूरे प्रोटोकॉल का भी पालन किया गया। जब दोनों सफाईकर्मी प्रांगण में आए तब डॉ. पाण्डेय स्वयं उन्हें रिसीव करने के लिए गए। उन्हें अपने साथ लाकर सोफे पर बैठाया और जब मुख्य अतिथि के रूप में उनका नाम बुलाया गया, तो डॉ. पाण्डेय स्वयं मंच से नीचे जाकर उन्हें सम्मान उन्हें सभी अतिथियों के बीच में कुर्सी उपलब्ध करवाई और प्रोटोकॉल के अनुसार उनका जीवनवृत्त भी पढ़ा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता आध्यात्मिक गुरु पवन सिन्हा ने की
खचाखच भरे हिन्दी भवन में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता विख्यात आध्यात्मिक गुरु पवन सिन्हा ने की। उन्होंने कहा कि पुस्तक में नगरीय व्यवस्था के अंधेरे पक्ष को जहां दिखाया गया है। वहीं उनके उज्जवल पक्ष को उद्घाटित करते हुए भविष्य की स्वर्णिम भावनाओं को बखूबी उकेरा गया है। कर्नल टीपी त्यागी ने कहा कि इस प्रकार का पुस्तक विमोचन कार्यक्रम जीवन में पहली बार देखा है कि किसी सफाई कर्मचारी से पुस्तक का विमोचन करवाया जा रहा है। ललित जायसवाल ने बताया कि वे कई विमोचन कार्यक्रम में हिस्सा ले चुके हैं परन्तु आज का पुस्तक विमोचन कार्यक्रम स्वयं में एक अनूठा उदाहरण है। पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में श्री ललित जायसवाल, पीएन अरोड़ा, कर्नल टीपी त्यागी, सभी निकायों के पूर्व पार्षद आदि उपस्थित रहे।
जानें सफाईकर्मियों के कर कमलों से क्यों कराया ?
पाण्डेय का मानना है कि आज के युग में महात्मा गांधी के स्वच्छता के प्रतिबिम्ब के रुप में यदि कोई प्रतिनिधित्व कर रहा है तो वे सफाईकर्मी ही है। अपने देश और शहर की गन्दगी हटाकर सफाईकर्मी ही महात्मा गांधी को हर दिन सच्ची श्रद्धांजलि दे रहे हैं। कर-कमल का हमारी संस्कृति में महत्व इसलिए नहीं है कि जिसका हाथ कमल की तरह कोमल हो, बल्कि जिन हाथों से जितना जनकल्याण हो वही हाथ कर-कमल की उपाधि के हकदार है। सफाईकर्मी स्वंय अपने हाथ को गन्दगी साफ करने में लगाकर पूरे समाज को स्वच्छ वातावरण देते हैं, इसलिए उनके हाथ ही कर-कमल की पदवी के वास्तविक एवं सच्चे हकदार हैं।
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