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Rupee Touches A New Low : डॉलर के मुकाबले रुपया पहली बार गिरकर 79.37 पर पहुंचा

By संतोष सिंह 
Updated Date

Rupee Touches A New Low: केंद्र सरकार की लाख कोशिशों के बाद रुपये में गिरावट का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। बीते मंगलवार 5 जुलाई को डॉलर के मुकाबले रुपया 79.37 पर बंद हुआ, जो भारतीय करेंसी का अब तक का सबसे बड़ी गिरावट है। मंगलवार को दिन के कारोबार के दौरान तो एक डॉलर का भाव 79.38 तक चला गया था।

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इस बीच अंतरराष्ट्रीय फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनी नोमुरा (Nomura) ने कहा कि रुपये में अभी और तेज गिरावट देखने को मिल सकती है। नोमुरा के एक्सपर्ट्स के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर 82 तक जा सकता है।

जानिए पिछले 5 दिनों के रुपये का क्लोजिंग स्तर

-मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 42 पैसे की कमजोरी के साथ 79.37 रुपये के स्तर पर बंद हुआ।

-सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 9 पैसे की मजबूती के साथ 78.95 रुपये के स्तर पर बंद हुआ।

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-शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 1 पैसे की कमजोरी के साथ 79.05 रुपये के स्तर पर बंद हुआ।

-गुरुवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 1 पैसे की कमजोरी के साथ 78.97 रुपये के स्तर पर बंद हुआ।

-मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 43 पैसे की कमजोरी के साथ 78.96 रुपये के स्तर पर बंद हुआ।

जानें क्या बताती है नोमुरा की रिपोर्ट

नोमुरा का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान भारत का करेंस अकाउंट डेफिसिट (CAD) बढ़कर 3.3 फीसदी पर पहुंच सकता है, जिसका असर पहले से कमजोर चल रहे रुपये पर दिख सकता है। पिछले वित्त वर्ष यानी 2021-22 के दौरान देश का CAD 1.2 फीसदी रहा था।

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भारत के करेंट अकाउंट डेफिसिट में बढ़ोत्तरी होने की आशंका के कारण रुपये पर लगातार दबाव बना रहेगा : नोमुरा 

नोमुरा की अर्थशास्त्री सोनल वर्मा के मुताबिक भारत के करेंट अकाउंट डेफिसिट में बढ़ोत्तरी होने की आशंका के कारण रुपये पर लगातार दबाव बना रहेगा। FPI के लगातार देश से बाहर जाने की वजह से FDI और अन्य विदेशी निवेश भी इस हालात को बहुत हद तक संभाल नहीं पाएंगे। इन हालात में हमारा अनुमान है कि Q3 2022 के दौरान एक डॉलर की कीमत 82 रुपये तक चली जाएगी। इसके बाद Q4 2022 में यह 81 रुपये प्रति डॉलर तक संभल सकती है। वर्मा के मुताबिक रिजर्व बैंक की तरफ से डॉलर की बिक्री किए जाने पर रुपये में गिरावट की रफ्तार कुछ कम हो सकती है।

चालू खाते के बढ़ते घाटे से भी दबाव बढ़ा

नोमुरा की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी फेड की सख्त मौद्रिक नीतियों के चलते विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPIs) भारत समेत उभरती अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों से पैसे निकाल रहे हैं। इसके अलावा चालू खाते के बढ़ते घाटे से भी दबाव बढ़ा रहा है। भारत सरकार ने हाल ही में सोने के आयात पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाकर 15 फीसदी करने और तेल के निर्यात पर टैक्स बढ़ाने का भी ऐलान किया है। लेकिन नोमुरा के मुताबिक इन कदमों से भी घाटे को पाटने में ज्यादा मदद नहीं मिलेगी। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक ताजा आंकड़े बताते हैं कि जून के महीने में भारत का व्यापार घाटा (Trade Deficit) बढ़कर अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर चला गया। जून 2022 में यह घाटा 25.63 अरब डॉलर रहा, जबकि जून 2021 में यह 9.61 अरब डॉलर था।

 

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