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शिव और सावन में आदि काल से ही भावनात्मक संबंध है, जानिए यहां कारण

By अनूप कुमार 
Updated Date

लखनऊ: भोले नाथ के भक्तों का मानना है कि महादेव सीधे,सरल है। वो अपने भक्तों के कष्टों को हरते हैं। सभी शास्त्रों में मिलता कि भगवान शिव भक्तों पर परम कृपा करते है। महादेव केवल जल और पत्ती से ही प्रसन्न हो जाने वाले देवता है। उनकी साधना में साधक को किसी तरह की कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ता है। भगवान शिव का उपासक जीवन में कभी भी निराश नहीं हो सकता है क्योंकि भगवान शंकर तो औढरदानी हैं। इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधर आदि नामों से भी जाना जाता है। तंत्र साधना में इन्हे भैरव के नाम से भी जाना जाता है। सावन भोलेनाथ का प्रिय महीना है। पूरे एक मास तक सावन रहता है। रिमझिम बारिश की फुहारें और शिवालयों में हर हर महादेव की गूंजती ध्वनि,सड़कों पर कंधें पर गंगाजल उठाए कांवरिये इस बात का उद्घोष करते हैं ​कि भोले नाथ् महीना सावन चल रहा है।

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सम्पूर्ण ब्रह्मांड शिव के अंदर समाया हुआ है जब कुछ नहीं था तब भी शिव थे जब कुछ न होगा तब भी शिव ही होंगे। शिव को महाकाल कहा जाता है, अर्थात समय। शिव अपने इस स्वरूप द्वारा पूर्ण सृष्टि का भरण-पोषण करते हैं।

भगवान शि‍व को सावन का महीना इतना प्रिय क्यों है, इसे लेकर एक पौराणि‍क कथा प्रचलित है, जिसमें सनत कुमारों द्वारा भगवान शिव से सावन माह के प्रिय होने का कारण पूछा, तो भगवान शिव ने इसका उत्तर दिया- कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति द्वारा अपने देह का त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को प्रत्येक जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था। अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने राजा हिमाचल और रानी मैना के घर में पार्वती के रूप में जन्म लिया था। पार्वती के रूप में देवी ने अपनी युवावस्था में, सावन के महीने में अन्न, जल त्याग कर, निराहार रह कर कठोर व्रत किया था। मां पार्वती के इस व्रत से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने देवी पार्वती से विवाह किया। तभी से भगवान महादेव सावन का महीन अतिप्रिय है।

 

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