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बिना डिग्री सफलता की सीढ़ियां चढ़ रहे हैं शिवरतन अग्रवाल, आज 13,430 हजार करोड़ की कंपनी के हैं मालिक

By संतोष सिंह 
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नई दिल्ली। भारत में कई ऐसे उदाहरण हैं, जिन्होंने न तो स्कूल की पढ़ाई पूरी की और न ही कॉलेज से कोई डिग्री ली, फिर भी वह आज सफलता की बुलंदियां छू रहे हैं। कई तो अरबों की कंपनी के मालिक हैं। ऐसी ही एक कहानी है देश के एक सफल बिजनेसमैन बीकानेर के बीकाजी भुजिया के संस्थापक शिव रतन अग्रवाल (Shiv Ratan Agarwal Founder of Bikaji Bhujia) की, जो आज 72 वर्ष की उम्र में 13,430 करोड़ रुपये की कंपनी के मालिक हैं। हाल ही में उन्हें फोर्ब्स की वर्ल्ड बिलियनेयर लिस्ट 2024 (Forbes World Billionaire List 2024) में भी शामिल हुए हैं।

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आज हम आपको राजस्थान के 8वीं पास एक व्यक्ति के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने भारतीय स्नैक बाजार (Indian Snack Market) को  बड़ा क्रेज दिया है। भारत में नमकीन सेगमेंट में दो बड़े कारोबारी एक हल्दीराम (Haldiram) और दूसरा बीकाजी (Bikaji )हैं। इस बात की बहुत कम लोगों को जानकारी है कि बीकाजी भी हल्दीराम फैमिली बिजनेस से ही निकली हुई कंपनी है।

आज से 80 साल पहले साल 1940 में राजस्‍थान के शहर बीकानेर में एक छोटी सी भट्टी पर भुजिया बनाने के लिए एक छोटी सी दुकान से शुरुआत हुई थी। आज यह कंपनी 13,430 हजार करोड़ रुपए के नेट वर्थ वाली विशालकाय कंपनी में तब्‍दील हो गई है। बीकाजी के शुरू होने, खड़े होने और एक दिन दुनिया के नामी ब्रांड्स में से एक बन जाने की कहानी काफी उतार-चढ़ावों, संघर्षों, पारिवारिक विवादों और अदम्‍य जज्‍बे की कहानी है।

कैसे हुई खोज?

बतातें चलें कि सबसे पहले भुजिया की खोज बीकानेर में ही हुई थी। साल 1877 में महाराजा श्री डूंगर सिंह (Maharaja Shri Dungar Singh) के समय बीकानेर स्‍टेट (Bikaner State) में पहली बार भुजिया बनाई गई थी। बीकानेर में बनी भुजिया देश भर में इतनी प्रसिद्ध हुई कि अब ब्रांड का नाम चाहे जो भी हो, लोग हर भुजिया को अकसर बीकानेरी भुजिया (Bikaneri Bhujia) कहते ही पाए जाते हैं। आपको बता दें कि बीकाजी ब्रांड का नाम हमेशा से बीकाजी नहीं था। उनकी दुकान का नाम पहले ‘हल्दीराम भुजियावाला’ (Haldiram Bhujiawala) हुआ करता था, जिसकी शुरुआत हल्‍दीराम अग्रवाल ने की थी। शुरू में ये एक छोटी सी दुकान हुआ करती थी। उसी दुकान में भुजिया बनाई और बेची जाती थी। हल्‍दीराम खुद अपने हाथों से भुजिया बनाते थे। उनकी दुकान धीरे-धीरे पूरे शहर में प्रसिद्ध हो गई। इसके बाद ये शहरों और राज्यों में फैल गई। हल्‍दीराम बाद में कोलकाता चले गए और वहीं जाकर बस गए। हल्‍दीराम के जीवनकाल में उनके नमकीन ने बीकानेर शहर में तो खूब नाम कमाया था, लेकिन उसे 1600 करोड़ की बड़ी कंपनी बनाने का काम उनके बच्चों ने किया।

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बीकाजी नाम कैसे पड़ा?

हल्‍दीराम के बाद ‘हल्दीराम भुजियावाला’ (Haldiram Bhujiawala) का बिजनेस उनके बेटे मूलचंद अग्रवाल के पास चला गया। मूलचंद अग्रवाल के चार बेटे शिवकिसन अग्रवाल, मनोहर लाल अग्रवाल, मधु अग्रवाल और शिवरतन अग्रवाल थे। शिवकिसन, मनोहरलाल और मधु ने मिलकर भुजिया का एक नया ब्रांड शुरू किया और अपने दादाजी के नाम पर हल्‍दीराम रखा, लेकिन चौथे बेटे शिवरतन अग्रवाल ने तीनों भाइयों के साथ मिलकर कारोबार करने की बजाय एक नए ब्रांड की शुरुआत की जिसका नाम बीकाजी रखा गया।

कौन हैं शिवरतन अग्रवाल?

शिवरतन अग्रवाल बीकाजी ब्रांड के संस्थापक और निदेशक हैं। उनकी कंपनी ब्रांड भुजिया, नमकीन, डिब्बाबंद मिठाइयां, पापड़ और साथ ही अन्य व्यंजन बनाती है। बीकाजी भारत की तीसरी सबसे बड़ी पारंपरिक स्नैक निर्माता है। बीकाजी को 1992 में इंडस्ट्रीयल एक्सीलेंस के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। आज के समय में बीकाजी ढ़ाई सौ से ज्‍यादा प्रोडक्‍ट बनाती है। बीकाजी के प्रोडक्‍ट विदेशों में भी भेजे जाते हैं। उनके बनाए प्रोडक्‍ट्स में वेस्‍टर्न स्‍नैक्‍स और फ्रोजेन चीजें भी शामिल हैं । देश भर में 8 लाख से ज्‍यादा दुकानों में आज बीकाजी के प्रोडक्‍ट मिलते हैं।

कहां तक की है पढ़ाई?

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शिवरतन अग्रवाल  ‘हल्दीराम’ भुजियावाला ‘ (Haldiram Bhujiawala) के पोते हैं, जिनका व्यवसाय ‘हल्दीराम’ के नाम से प्रसिद्ध था। शिवरतन के पिता मूलचंद भी भुजिया बनाने का व्यवसाय करते थे। बचपन से ही शिवरतन को नमकीन बनाने में गहरी रुचि थी और उन्होंने अपने दादाजी से भुजिया बनाना सीखा। शिवरतन ने केवल 8वीं कक्षा तक पढ़ाई की है और फिर अपने फैमिली बिजनेस में शामिल हो गए। बीकाजी समूह की यात्रा कठिनाई, विजय और उपलब्धि से भरी रही है। बीकाजी के संस्थापक शिवरतन की यात्रा आसान नहीं थी। बहुत लंबे समय तक, शिवरतन ने भुजिया ब्रांड को दुनिया के सामने पेश करने के लिए संघर्ष किया। अग्रवाल उस दौर में अपने सपनों के व्यवसाय की नींव रखने में सफल रहे जब व्यापक पैमाने पर भुजिया बनाने के लिए कोई तकनीक उपलब्ध नहीं थी तो मशीनों का उपयोग सीखने के लिए वो विदेश भी गए। शिवरतन के कुशल निर्देशन में अभी ये बिजनेस बहुत अच्छे से काम कर रहा है।

विदेशों तक पहुंचा बीकानेर का देशी स्वाद

बीकानेरी भुजिया (Bikaneri Bhujia) को ‘मोठ’ दाल से बनाया जाता है। बीकानेरी भुजिया (Bikaneri Bhujia)  को जियोग्राफिकल टैग (Geographical Tag) मिल चुका है जिसके बाद इसकी काफी मांग बढ़ी है। रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी का कारोबार आज 40 देशों में फैला हुआ है।। बीकाजी फूड्स बाजार (Bikaji Foods Market) में अपने प्रतियोगियों जैसे हल्दीराम फूड्स इंटरनेशनल, बीकानेरवाला, प्रताप स्नैक्स, बालाजी वेफर्स, आईटीसी, पेप्सिको इंडिया होल्डिंग्स और डीएफएम फूड्स आदि को अच्छी टक्कर दे रही है।

बीकानेर की आधी आबादी भुजिया बनाने में व्यस्त है और आधी आबादी उसे खाने में

हिंदी के कवि और आलोचक अशोक वाजपेयी ने भुजिया के प्रति बीकानेर के लोगों की दीवानगी पर कहा था, बीकानेर की आधी आबादी भुजिया बनाने में व्यस्त है और आधी आबादी उसे खाने में। शायद शिवरतन अग्रवाल भी लोगों की इस दिवानगी को जानते थे। तभी उन्होंने अपने बिजनेस का गढ़ बीकानेर को बनाया।

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