Advertisement
  1. हिन्दी समाचार
  2. एस्ट्रोलोजी
  3. ‘Snan Purnima’ of Lord Jagannath : आज है भगवान जगन्नाथ की ‘स्नान पूर्णिमा’,देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु करते हैं दर्शन

‘Snan Purnima’ of Lord Jagannath : आज है भगवान जगन्नाथ की ‘स्नान पूर्णिमा’,देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु करते हैं दर्शन

By अनूप कुमार 
Updated Date

‘Snan Purnima’ of Lord Jagannath : ओडिशा के पुरी धाम की जगन्नाथ रथ यात्रा की तैयारियां जोरों पर हैं। यह पवित्र यात्रा हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को निकाली जाती है। आज, 11 जून, 2025 को ओडिशा के पुरी में वार्षिक स्नान पूर्णिमा उत्सव मनाया जा रहा है। भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा का औपचारिक स्नान – जिसे स्नान यात्रा के रूप में जाना जाता है – जगन्नाथ मंदिर में हो रहा है।

पढ़ें :- 20 दिसम्बर 2025 का राशिफल : मेष, कर्क सहित इन राशियों का शुरू हो रहा है गोल्डन टाइम , पढ़ें अपना राशिफल

स्नान पूर्णिमा 2025: मंदिर की परंपरा के अनुसार, देवताओं को 108 कलशों के पवित्र जल से स्नान कराया गया।  तीनों देवताओं को मंदिर परिसर में स्थित स्वर्ण कुएँ से निकाले गए 108 घड़ों के पवित्र जल से स्नान कराया जाता है। यह साल का एकमात्र दिन है जब भक्त स्नान मंडप (स्नान मंच) पर देवताओं को एक साथ सार्वजनिक रूप से देख पाते हैं।हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु  देवताओं का उर्शन करते है।

मान्यता है कि औपचारिक स्नान के बाद देवता बीमार पड़ जाते हैं और लगभग 15 दिनों तक सार्वजनिक रूप से दिखाई नहीं देते। इस अवधि को अनासरा कहा जाता है, जिसे रथ यात्रा के लिए फिर से प्रकट होने से पहले दिव्य आकृतियों के लिए आराम और स्वास्थ्य लाभ का समय माना जाता है। आज है भगवान जगन्नाथ की ‘स्नान पूर्णिमा’, आखिर रथ यात्रा से 15 दिन पहले क्यों रहते हैं भगवान बीमार, बहुत रोचक है इतिहास, जानिए यहांहर साल 15 दिन के लिए पूर्णिमा के दिन भगवान बीमार पड़ जाते हैं. इस परंपरा को अनासर भी कहते हैं. वहीं, जब 15 दिन बाद ठीक हो जाते हैं तो ‘नैनासर उत्सव’ मनाया जाता है यानी रथयात्रा निकालती है.

108 सोने के घड़ों से स्नान कराया जाता है। जिसमें सारे तीर्थों से आए जल मिश्रित होते हैं। इसके अलावा स्नान जल में अलग-अलग तरीके के द्रव्य मिलें होते हैं, जैसे- चंदन, गुलाब, घी, दही आदि। इसके बाद भगवान का साज श्रृंगार किया जाता है। आपको बता दें कि स्नान यात्रा में देवी सुभद्रा को स्नान अलग से कराया जाता है।

जगन्नाथ रथ यात्रा 2025: नौ दिवसीय उत्सव कार्यक्रम की घोषणा
जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 27 जून से शुरू होकर 5 जुलाई तक चलेगी। नौ दिवसीय उत्सव में कई प्रमुख अनुष्ठान शामिल हैं, जो स्नान पूर्णिमा से शुरू होकर देवताओं के मुख्य मंदिर में वापस लौटने के साथ समाप्त होते हैं। इस वर्ष, आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 26 जून को दोपहर 1:25 बजे शुरू होगी और 27 जून को सुबह 11:19 बजे समाप्त होगी। इस समय के आधार पर, रथ उत्सव – जिसे दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समारोहों में से एक माना जाता है – 27 जून को होगा।

पढ़ें :- Paush Amavasya 2025 : आज पौष अमावस्या पर बन रहा है दुर्लभ शुभ संयोग , कर लें ये काम, पितरों का मिलेगा आशीर्वाद

कार्यक्रमों का पूरा कैलेंडर
रथ यात्रा: 27 जून 2025

हेरा पंचमी: 1 जुलाई 2025

बहुदा यात्रा (रथ वापसी जुलूस): 4 जुलाई 2025

सुना बेशा (देवताओं की स्वर्ण पोशाक): 5 जुलाई 2025

नीलाद्रि बिजय (मुख्य मंदिर में वापसी): 5 जुलाई 2025

पढ़ें :- 19 दिसम्बर 2025 का राशिफल : मंगल और सूर्य की युति से इन 5 राशियों को होगा तगड़ा धन-लाभ, जानें अपनी राशि का हाल?
Advertisement