नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सियासी पारा बढ़ा हुआ है। शुक्रवार को कांग्रेस ने रायबरेली और अमेठी से अपने प्रत्याशी के नाम का एलान कर दिया। रायबरेली से राहुल गांधी और अमेठी से केएल शर्मा को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया है। वहीं, राहुल गांधी के रायबरेली से चुनाव लड़ने का एलान के बाद कई तरह की प्रतिक्रया आ रहीं हैं। अब कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इसको लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि, एक बात और साफ़ है कि कांग्रेस परिवार लाखों कार्यकर्ताओं की अपेक्षाओं उनकी आकांक्षाओं का परिवार है। कांग्रेस का एक साधारण कार्यकर्ता ही बड़े बड़ों पर भारी है।
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जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा कि, राहुल गांधी जी की रायबरेली से चुनाव लड़ने की खबर पर बहुत सारे लोगों की बहुत सारी राय हैं। लेकिन वह राजनीति और शतरंज के मंजे हुए खिलाड़ी हैं। और सोच समझ कर दांव चलते हैं। ऐसा निर्णय पार्टी के नेतृत्व ने बहुत विचार विमर्श करके बड़ी रणनीति के तहत लिया है। इस निर्णय से BJP, उनके समर्थक और चापलूस धराशायी हो गये हैं। बेचारे स्वयंभू चाणक्य जो ‘परंपरागत सीट’ की बात करते थे, उनको समझ नहीं आ रहा अब क्या करें?
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, रायबरेली सिर्फ़ सोनिया जी की नहीं, ख़ुद इंदिरा गांधी जी की सीट रही है। यह विरासत नहीं ज़िम्मेदारी है, कर्तव्य है। रही बात गांधी परिवार के गढ़ की, तो अमेठी-रायबरेली ही नहीं, उत्तर से दक्षिण तक पूरा देश गांधी परिवार का गढ़ है। राहुल गांधी तो तीन बार उत्तरप्रदेश से और एक बार केरल से सांसद बन गये, लेकिन मोदी जी विंध्याचल से नीचे जाकर चुनाव लड़ने की हिम्मत क्यों नहीं जुटा पाये?
कांग्रेस नेता ने आगे लिखा कि, एक बात और साफ़ है कि कांग्रेस परिवार लाखों कार्यकर्ताओं की अपेक्षाओं उनकी आकांक्षाओं का परिवार है। कांग्रेस का एक साधारण कार्यकर्ता ही बड़े बड़ों पर भारी है। कल एक मूर्धन्य पत्रकार अमेठी के किसी कार्यकर्ता से व्यंग में कह रही थी कि “आप लोगों का नंबर कब आएगा टिकट मिलने का”? लीजिए, आ गया! कांग्रेस का एक आम कार्यकर्ता अमेठी में BJP का भ्रम और दंभ दोनों तोड़ेगा। प्रियंका जी धुआंधार प्रचार कर रही हैं और अकेली नरेंद्र मोदी के हर झूठ का जवाब सच से देकर उनकी बोलती बंद कर रही हैं। इसीलिए यह ज़रूरी था कि उन्हें सिर्फ़ अपने चुनाव क्षेत्र तक सीमित ना रखा जाए। प्रियंका जी तो कोई भी उपचुनाव लड़कर सदन पहुंच जायेंगी।
उन्होंने आगे कहा कि, आज स्मृति ईरानी की सिर्फ़ यही पहचान है कि वो राहुल गांधी के ख़िलाफ़ अमेठी से चुनाव लड़ती हैं। अब स्मृति ईरानी से वो शोहरत भी छिन गई। अब बजाय व्यर्थ की बयानबाज़ी के, स्मृति ईरानी स्थानीय विकास के बारे में जवाब दें, जो बंद किए अस्पताल, स्टील प्लांट और IIIT हैं – उसपर जवाब देना होगा। शतरंज की कुछ चालें बाक़ी हैं, थोड़ा इंतज़ार कीजिए।