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दिल्ली में पटाखों का भंडारण, बिक्री व उपयोग पूर्णतया बैन : Arvind Kejriwal

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal) ने बुधवार को ट्वीट कर प्रदूषण नियंत्रण (Pollution Control0)  की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने ट्वीट किया है कि पिछले 3 साल से दीवाली के समय दिल्ली में प्रदूषण की खतरनाक स्थिति को देखते हुए इस बार भी हर प्रकार के पटाखों के भंडारण (Firecrackers Storage)  , बिक्री एवं उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध (Completely Banned)  लगाया जा रहा है। जिससे लोगों की जिंदगी बचाई जा सके।

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बता दें कि पिछले साल व्यापारियों द्वारा पटाखों के भंडारण के पश्चात प्रदूषण की गंभीरता को देखत हुए देर से पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया, जिससे व्यापारियों का नुकसान हुआ था। इस बार भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal)ने सभी व्यापारियों से अपील है कि इस बार पूर्ण प्रतिबंध को देखते हुए किसी भी तरह का भंडारण न करें।

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बीते 23 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट (Supreme court)  ने दिल्ली में फायर क्रैकर की बिक्री पर एनजीटी (NGT)  की बैन को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी (NGT)  के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान पूछा कि क्या आपको स्वास्थ्य पर पटाखों के प्रभाव का पता लगाने के लिए आईआईटी रिपोर्ट (IIT Report) की जरूरत है? दिल्ली में रहने वाले लोगों को इसके प्रभाव पता है, उनसे पूछिये कि दिवाली के समय क्या स्थिति होती है।

इन टिप्पणियों के साथ सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने एनजीटी (NGT) के आदेश में दखल से इनकार कर दिया था। एनजीटी(NGT)  ने अपने आदेश में कोविड के समय खराब वायु गुणवत्ता सूचकांक (MQI) वाले इलाके में पटाखों की बिक्री पर बैन कर दिया है। सुनावाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) के जस्टिस एएम खानविलकर (Justice AM Khanwilkar) की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि पटाखे का स्वास्थ्य पर पड़ने वाले विपरीत प्रभाव को मापने के लिए किसी साइंटिफिक स्टडी की आवश्यकता नहीं है। दिल्ली में रहने वाला हर शख्स इससे अवगत है। खासकर, दिवाली के समय क्या प्रभाव होता है, ये सबको मालूम है।

सुप्रीम कोर्ट (Supreme court)  ने याचिकाकर्ता से सवाल किया कि क्या आप आईआईटी रिपोर्ट (IIT Report) का अध्ययन करना चाहते हैं कि हेल्थ पर इसका क्या प्रभाव होता है? एनजीटी के आदेश को पटाखा बेचने वालों की ओर से सुप्रीम कोर्ट (Supreme court)  में चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एनजीटी (NGT)  के आदेश में दखल की जरूरत नहीं है और अर्जी खारिज (application rejected) की जाती है।

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